For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : बदलाव (गणेश जी बागी)

                                निगरानी टीम रघुआ को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई, दरअसल वो सब्जी बाज़ार मे अवैध बिजली वितरण का धंधा स्थानीय कर्मचारियों और अधिकारियों की मिलीभगत से चला रहा था और प्रतिदिन प्रति बल्ब २० रुपये की वसूली सब्जी दुकानदारों से करता था.

                                लेकिन दूसरे ही दिन वो पुलिस हिरासत से वापस आ गया. कुछ विशेष नही बदला, सब कुछ पहले की तरह ही चलने लगा, बस अब बिजली किराया प्रतिदिन ३० रुपया हो गया था.

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : महाचोर

Views: 1008

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2014 at 10:02pm

आदरणीय सौरभ भईया, आशीर्वाद स्वरुप की गई इस टिप्पणी हेतु दिल से आभार व्यक्त करता हूँ, उत्साहवर्धन हेतु कोटिश: धन्यवाद आदरणीय। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2014 at 10:00pm

बधाई ह्रदय से स्वीकार है आदरणीया मीना पाठक जी, उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 7, 2014 at 9:59pm

उत्साहवर्धन हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी। 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on August 7, 2014 at 6:56pm

आदरणीय बागी सर ..आपकी लघु कथा वर्तमान व्यवस्थ में व्याप्त बुराईयों की और इंगित करती है इस शानदार रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 7, 2014 at 1:07am

बसूली में कुछ टेक्स बाकी जो रह गया था. :-))) बहुत ही बढ़िया लघुकथा आदरणीय बागी जी, आपको बहुत-२ बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 6, 2014 at 9:38pm

यही होता आ रहा है अरसों से , पुलिसिया दबाव हमेशा कुछ पाने के लिये ही लगाया जाता है , और ऐसे ही रेट बढ़ाये जाते रहे हैं      हमेशा से । बहुत खूब ! आदरणीय बागी जी , कथा के लिये बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2014 at 6:07pm

क्यूंकि अब दस रुपया पुलिस की झोली में जाएगा !!! क्या होगा इस देश का ?? बहुत सटीक लघु कथा है ...बिजली की चोरी तो हर जगह हो रही है और गाँव में तो .!!..कोई हिसाब ही नहीं ..बहुत- बहुत बधाई आपको आ० गणेश जी इस सार्थक लघु कथा के लिए | 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on August 6, 2014 at 9:38am

चंद शब्दों में हिन्दोस्तान की हालत व्यान कर दी बागी साहब  वाह। 

Comment by विनय कुमार on August 6, 2014 at 2:36am

यथार्थ दिखाती लघुकथा , ढेरों बधाईयां गणेश जी ..

Comment by UMASHANKER MISHRA on August 5, 2014 at 10:42pm

आदरणीय गणेश बागी जी नमस्कार बहुत दिनों बाद इस आश्रम में आने का मौक़ा मिला आते हि आपकी सभी लघु कथाएँ पढ़ी  

सभी एक से बढ़  कर एक थी| आपकी अतुकांत कविताएँ भी बहुत अच्छी लगी| आदरणीय योगराज जी को भी सादर नमस्कार 

कोशिस करूँगा ओ.बी.ओ.में सहभागिता की . सुन्दर रचनाओं के लिए हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
11 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service