For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे जरा पता तो कर, इस एरिआ में स्साला कौन पैदा हो गया जो मेरे घर में चोरी कर गया." नेताजी गरजते हुए बोले । 
"भईया जी, पता चल गया है, इ काम कल्लुआ गिरोह का है, चोरी के माल के साथ बड़का गाँव में छुपा हुआ है, आप कहें तो पुलिस भेज कर उसे चोरी के माल के साथ गिरफ्तार करवा दें ?"
"अबे पगला गया है क्या ? जीते जी मरवायेगा !!! उ कल्लुआ को खबर करवा दे, किसी हाल में वो पुलिस के हाथ नहीं लगना चाहिए ।" 
"आयं !!! वो क्यों भईया जी ?"
"रे बकलोल, उसका जो होगा सो होगा, मगर हमारा ………

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : भुट्टे वाली

Views: 892

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:54am

कटाक्ष सीधा निशाने पे लगा 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:56am

सराहना हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय विनय कुमार सिंह जी ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:55am

आदरणीय संतलाल करुण जी, लघुकथा पर आपसे प्राप्त आशीर्वाद हेतु आभार व्यक्त करता हूँ।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:52am

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, लघुकथा पर आपकी समीक्षात्मक टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है,हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ, स्नेह सदैव बना रहे, सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:48am

लघुकथा को सराहने हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:47am

लघुकथा आपको अच्छी लगी श्रम सार्थक हुआ, बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 19, 2014 at 9:43am

Thanks Dr. Vijai Shanker jee for your valuable comments. 

Comment by savitamishra on July 25, 2014 at 10:03pm

जबरदस्त कटाक्ष करती लघु कथा

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 6:36pm

एक तो अथाह संपदा का राज खुलने कर, दुसरे  नेताजी का जिसके संग चोली दामन का साथ हो वही चोर निकले तो 

संतोष करने के सिवा रास्ता क्या ? ये कहानी नेताजी के यक्तित्व पर सटीक निशाना साध रही है | वाह !! बहुत खूब 

अतिशय बधाई इस लघु कहानी के लिए श्री गणेशजी "बागी" जी 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 24, 2014 at 5:16pm

आदरणीय गणेश  भाईजी,

एक कहावत है....  चोर का माल चाँडाल खाय । यहाँ कहावत उलटी हो गई .........  चाँडाल का माल चोर खाय ।                               चोर - चोर मौसेरे भाई भी कहलाते हैं । 

दो मौसेरे भाईयों की लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
2 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
14 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
14 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
15 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
16 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीया, पूनम मेतिया, अशेष आभार  आपका ! // खँडहर देख लें// आपका अभिप्राय समझ नहीं पाया, मैं !"
16 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service