For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : भुट्टे वाली (गणेश जी बागी)

            "भुट्टे ले लो, हरे ताजे भुट्टे ले लो !" हर रोज सुबह-सुबह मैले कुचैले कपडे पहने, सर पर टोकरी लिए भुट्टे वाली कॉलोनी में आ जाती थी, मैं तो उसकी आवाज़ से ही जगता था ।

                    आज सुबह किसी की तेज डाँटने की आवाज़ सुनकर बालकोनी में चला आया, भुट्टे वाली महिला को मेरे पडोसी सिंह साहब डाटे जा रहे थे।

                   "कमबख्त सुबह सुबह चिल्ला कर नींद हराम कर देती है, चैन से सोने भी नहीं देती, अगर कल से इस कॉलोनी में चिल्लाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा"

                    भुट्टे वाली के आँखों में आँसू थे, जाते-जाते केवल यही कह पायी, "बाबूजी माफ़ कर दीजिये, लेकिन का करूँ, अगर न चिल्लाऊं तो मेरे बच्चे चैन से नहीं सो पायेंगे ।"

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : खोटा सिक्का

Views: 1096

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 12, 2015 at 1:55am

मार्मिक 

Comment by Kavita Verma on August 7, 2014 at 8:10pm

sahi kaha ..

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 24, 2014 at 5:01pm

आदरणीय गणेश भाईजी 

गरीब ममतामयी माँ घर परिवार बच्चों के लिए क्या कुछ नहीं करती । दिन भर खटती है फिर भी अभावों में जीती है।                   लगता है ग्रामीण भुट्टे वाली के उठने का समय और  सिंह साहब के बिस्तर पर जाने का समय लगभग एक है । शहर में ऐसे बिगड़े नवाबों की भरमार रहती है जो सूर्योदय के 3 - 4 घंटे  बाद ही उठते हैं। 
 "कमबख्त सुबह सुबह चिल्ला कर नींद हराम कर देती है, चैन से सोने भी नहीं देती, अगर कल से इस कॉलोनी में चिल्लाई तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा"  , (  जैसे पूरी कालोनी इसी की है ) 

ऐसे मीठे बोल बिगड़े नवाबों  के ही हो सकते हैं ! ............ और वह गरीब भुट्टे वाली पलटकर  जवाब देने के बजाय माफ़ी माँग रही है!!! 

कितना अंतर है दोनों के स्वभाव में। एक शहर और एक गाँव में । एक शिक्षित शहरी और एक अशिक्षित ग्रामीण में। 

मेरी हार्दिक बधाई इस लघु कथा पर । 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 10:02am

बच्चो को पालने की मज़बूरी दर्शाते हुए डांटने वाले व्यक्ति की नींद खलल पर जोरदार तंज कसती लघु कथा के लिए 

हार्दिक बधाई श्री गणेशजी "बागी" जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 22, 2014 at 8:58pm

आदरणीय ग़णेश भाई , दोनो के सोने के अर्थों मे कितनी भिन्नता है ? बहुत सुन्दर !! लघुकथा के लिये बधाइयाँ ॥


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2014 at 8:50pm

सराहना हेतु ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय विनय कुमार सिंह जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2014 at 8:50pm

सराहना हेतु ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय विनय कुमार सिंह जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2014 at 8:49pm

लघुकथा की आत्मा तक जाकर की गई आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है आदरणीय संतलाल जी, ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 22, 2014 at 8:46pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी । 

Comment by mrs manjari pandey on July 22, 2014 at 7:38pm
बच्चे का पेट भरने के लिए माँ क्या क्या नहीं करती ,सहती है। सहज चित्रण।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
18 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
21 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
21 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service