For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- लोगों को ईद पर खुशी होगी।

चाँद की आँख में नमी होगी

लोगों को ईद पर खुशी होगी

 

चाँद हर रोज देखता है तुम्हें,

आपकी आज बेबसी  होगी

 

जिंदगी रोज खून से लथपथ,

आज कैसे ये जिंदगी होगी

 

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

 

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

 

छोड दो अपना-अपना कहना उसे,

इस तरह खत्म दुश्मनी होगी

 

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी

 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

 

छोड दो अपना कहना दुनिया को,

सारी दुनिया फिर आपकी होगी ।

………….सूबे सिंह सुजान..29.07.2014...

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

Views: 801

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 30, 2014 at 9:24pm

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी-----सुन्दर शेर 

आ० गिरिराज जी की बात पर गौर करें कुछ शेर और स्पष्टता चाहते हैं बहरहाल आपको बधाई 

 

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 30, 2014 at 5:31pm

बहुत खुबसूरत गजल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,बधाई आपको

Comment by savitamishra on July 30, 2014 at 3:42pm

ख़ूबसूरत ग़ज़ल

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 30, 2014 at 1:52pm

आदरणीय 

ईद पर इस गजल का स्वागत करता  हूँ i भंडारी जी ने सारी बात कह दी है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 30, 2014 at 1:44pm

गर्दनें काट कर दिखाते हो,

क्या खुशी फिर भी ईद की होगी

आज इनसानियत है खतरे में,

क्या वजह है ये सोचनी होगी  -------------- आ. सूबे सिंह भाई , अच्छी ग़ज़ल और इन दो अशार के ल्लिये आपको बधाइयां |

इन दो अशआर  में आप जो कहना चाह रहे हैं वो शायद नहीं कहा पाए हैं , एक बार सोच के देखिएगा

अन्ध-विश्वास से लडाई है,

अब लडाई ये रोकनी होगी 

इस तरफ ओट करके बैठे हो,

इस तरफ कैसे रोशनी होगी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 30, 2014 at 11:24am

aadarneeey sujan jee ..ईद के माध्यम से आपने लोकोपकारी सन्देश दिया है इसके लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by सूबे सिंह सुजान on July 29, 2014 at 11:55pm

जितेन्द्र ी, बहुत बहुत सहयोग के लिये धन्यवाद

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 29, 2014 at 11:24pm

बहुत खुबसूरत गजल आदरणीय सूबे सिंह जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service