For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“बेटा..! ऐसा मत कर, फेंक दे ये ज़हर की बोतल I ले हमने जमीन के कागज़ पर दस्तख़त कर दिए हैं. जा, अब मर्ज़ी इसे बेच या रख। बस अपनी पत्नी और बच्चों के साथ ख़ुशी से रह । हमारा क्या है बेटा, हम कुछ दिन के मेहमान हैं,जी लेंगे जैसे-तैसे...” माँ रुंधे हुए गले से कहा.

सभी निगाहें बेटे पर केंद्रित थीं जो जहर की बोतल को आँगन में ही फेंक दस्तखत किये हुए कागजों को  समेटने में व्यस्त था. लेकिन उसी बोतल को उठाकर अपनी कोठरी में ले जाते बापू पर किसी की भी नज़र नही पडी थी.

    जितेन्द्र 'गीत

(मौलिक व् अप्रकाशित)'

Views: 922

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on July 12, 2014 at 7:31am
बहुत ही सुन्दर लघुकथा। आपको हार्दिक बधाई।
Comment by Dr. Vijai Shanker on July 12, 2014 at 6:09am
आदरणीय जीतेन्द्र गीत जी , सुन्दर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई। विवशता दोनों पक्षों में है , क्या करियेगा .
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 12, 2014 at 12:24am

आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से मुझे अति मनोबल मिला आदरणीय रवि जी, आप अपना स्नेह व् मार्गदर्शन बनाये रखियेगा

सादर!


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 11, 2014 at 9:53pm

बापू बोतल उठा कर कोठरी में क्यों चला गया, यही प्रश्नचिन्ह इस लघुकथा की सुंदरता है भाई शुभ्रांशु जी.

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 11, 2014 at 9:30pm

आदरणीय जितेन्द्र जी

सुंदर कथा की बधाई जो अंत में  एक रहस्य छोड़ जाती है।

Comment by Pragya Srivastava on July 11, 2014 at 8:22pm
आदरणीय जितेन्द्र जी,
बहुत ही मर्मस्पर्शी लघु कथा
बधाई आपको
Comment by विनय कुमार on July 11, 2014 at 8:20pm

बहुत बेहतरीन लघुकथा , बधाई स्वीकारें जीतेंद्रजी ..

Comment by Shubhranshu Pandey on July 11, 2014 at 8:09pm

आदरणीय जितेन्द्र जी,

सुन्दर कथा. पिता की एक हरकत ने कथा को चरम् बिन्दु पर पहुचाया है और कथा समाप्त हो जाती है. पाठक अब अपने हिसाब से समझे कि पिता ने वो जहर की बोतल एक समस्या के समाधान होने पर हटाया या पुत्र की हठधर्मिता के प्रतिकार में इस्तमाल करने के लिये हटाया है...

बधाई.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 11, 2014 at 7:52pm

सन्न करती लघु कथा अंत में ह्रदय पर आघात करती है ,यही इस लघु कथा को विशेष और सार्थक बनाती है बस इससे अधिक कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूँ .....इस सफल प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. 

Comment by Ravi Prabhakar on July 11, 2014 at 1:09pm

प्रिय मित्रवर,
    एक सफल लघुकथा तीव्र गति से चलती हुई शिखर पर पहुंच कर एकदम समाप्त हो जाती है। यह विधा चयनशील अनुभव को तीक्ष्णता, तीव्रता और सूक्ष्मता से कहने की विधि के कारण ही लघु है। लघुकथा के प्रभाव की एकता, एकाग्रता और तीक्ष्णता के लिए रचना का आकार छोटा होना भी अति आवश्यक है। यह सभी गुण आपकी प्रस्तुत लघुकथा में दिखाई दिए। एक सफल प्रस्तुति के लिए हृदय से शुभकामनाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
13 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपसे मिले अनुमोदन हेतु आभार"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service