For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- तूने मुझे निकलने का जब रास्ता दिया

तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया।

मैंने भी तेरे वास्ते सर को झुका दिया।।

सबके भले में अपना भला होगा दोस्तो,

जीवन में आगे आएगा, सबके, लिया दिया।।

हम प्रेम प्रेम प्रेम करें,  प्रेम प्रेम प्रेम,

कटु सत्य, प्रेम ने हमें मानव बना दिया।।

हम क्रोध में उलझते रहे दोस्तो परन्तु,

परमात्मा ने प्रेम,  हमें सर्वथा दिया।।

वो व्यस्त हैं गुलाब दिवस को मनाने में,

देखो गुलाब प्रेम में मुझको भुला दिया।।.

मौलिक व अप्रकाशित रचना

Views: 805

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 29, 2014 at 9:50pm

 कल्पना रामानी,जी आपका अभिवादन स्वीकार है आपकी और से मिला उत्साह मुझे अच्छा लगा।

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 29, 2014 at 9:49pm

 Dr Ashutosh Mishra  गिरिराज भंडारी , जी आपका अभिवादन स्वीकार है आपकी और से मिला उत्साह मुझे अच्छा लगा।

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 29, 2014 at 9:49pm

गिरिराज भंडारी , जी आपका अभिवादन स्वीकार है आपकी और से मिला उत्साह मुझे अच्छा लगा।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 23, 2014 at 9:17pm

आदरणीय सूबे सिंग जी , खूब सूरत ग़ज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 23, 2014 at 5:12pm

आदरणीय सूबे जी ...बहुत ही सुंदर अशारो की ये शानदार ग़ज़ल ..मेरी तरफ से तहे दिल बधाई सादर 

Comment by कल्पना रामानी on May 22, 2014 at 8:34pm

बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है आदरणीय हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on May 21, 2014 at 10:35am

तूने मुझे निकलने को जब रास्ता दिया।

मैंने भी तेरे वास्ते सर को झुका दिया।।

वाह, अति सुन्दर बात...................बधाइयाँ ....................


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 20, 2014 at 9:33pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय सुजान सर बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on May 20, 2014 at 8:24pm

वो व्यस्त हैं गुलाब दिवस को मनाने में,

देखो गुलाब प्रेम में मुझको भुला दिया।।.....खुब कहा सुजान जी....दुनिया में बेमुरौवत की कमी नहीं है...सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 19, 2014 at 11:15pm

बहुत सुंदर गजल हुई आदरणीय सूबे सिंह जी, हार्दिक बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service