For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुप अॅधेंरा, चॉंदनी भी दरबदर

गजल-गुप अॅधेंरा, चॉंदनी भी दरबदर
बह्र....2122 2122 212

नींद जब आती नहीं गुल सेज पर,
सो रहे रिक्शे पे घोड़ा बेच कर।

स्वर्ण है या वोट किसको क्या पता,
शोर संसद में वतन की लूट पर।

चापलूसी नीति निशदिन छल रही,
गर्म है बाजार माया धर्म धर।

शोख कमसिन सी कली नित सुर्ख है,
तल्ख हैं अखबार पढ़ कर मित्रवर।

क्या किया है आपने इस देश में,
लुट रही है अस्मिता हर राह पर।

ताख पर जलता दिया जब बुझ गया,
गुप अॅधेंरा, चॉंदनी भी दरबदर।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 542

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 13, 2014 at 3:29pm

क्या खयाल हैं ! और क्या खूब बाँधने की कोशिश हुई है  वाह वाह ! 


लेकिन प्रस्तुतियों में संप्रेषणीयता और कैसे सटीक हो उस के लिए हमें लगातार अभ्यास करते रहना होगा.
एक बानगी क्षमा याचना सहित -
नींद जब आती नहीं गुल सेज पर,
सो रहे रिक्शे पे घोड़ा बेच कर ..

क्या इसे यों कह सकते हैं -
नींद को वे क्या बुलायें सेज पर
सो रहे रिक्शे पे घोड़ा बेच कर
या ऐसा ही कुछ. ..

शुभेच्छाएँ

Comment by Satyanarayan Singh on May 9, 2014 at 3:44pm

आ. केवल प्रसाद जी देश के मिजाज को भांपकर बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 3, 2014 at 8:52pm
आ0 शिज्जू भाईजी, आशुतोष भाईजी, जितेन्द्र भाईजी, रेमेश भाईजी, भण्डारी भाईजी तथा आदरणीया कुन्ती मैमजी, आप सभी का तहेदिल से बहुत बहुत आभार। सादर,
Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:32am

बहुत सुंदर रचना. केवल जी हार्दिक बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 29, 2014 at 5:33pm

आदरणीय केवल भाई , लाजवाब ग़ज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ !!

Comment by रमेश कुमार चौहान on April 29, 2014 at 2:36pm

सभी अश'आर बेहतरीन बन पड़े है आदरणीय केवल जी, दिली दाद कबूल करे

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 29, 2014 at 1:36pm

वाह! बहुत खूब. आज की समस्याओं का बहुत खुबसूरत चित्रण, हार्दिक बधाई आदरणीय केवल जी

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 28, 2014 at 4:48pm

आदरणीय केवल जी 

चापलूसी नीति निशदिन छल रही,
गर्म है बाजार माया धर्म धर।

क्या किया है आपने इस देश में,
लुट रही है अस्मिता हर राह पर।..यथार्थ का चित्रण करती शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 28, 2014 at 12:12pm

शोख कमसिन सी कली नित सुर्ख है,
तल्ख हैं अखबार पढ़ कर मित्रवर। बहुत खूब

आदरणीय केवल प्रसाद जी देश के दुर्भाग्य को आपने अशआर मे ढाला है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service