For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल......उड़ रहा मानव नियति आवाक है.......

गजल......
अरकान--2122 2121 212

जिन्दगी की तीव्र गति आवाक है।
सोच कर दिन-रात मति आवाक है।।

बस चुनावी दौर का सुरूर अब,
उड़ रहा मानव नियति आवाक है।

चॉंद छिप कर सोचता वो क्या करे,
बादलों का खौफ रति आवाक है।

पीर के पत्थर पिघल के सो गए,
नग्न पर्वत देख यति आवाक है।

नारि तुलसी-गौतमी औ द्राैपदी,
पूॅूछती हैं प्रश्न पति आवाक है।

घोर कलियुग पाप का आधार जब,
धर्म के पथ पर जयति आवाक है।

आज 'सत्यम' धर्मरत ये लिख रहे,
कर्म की काया सुमति आवाक है।

के0पी0सत्यम-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2014 at 11:37am

आ0 गिरिराज भाईजी, जितेन्द्र भाईजी, शेखर भाईजी, कुन्ती मैमजी तथा सौरभ सर जी, आप सभी का बहुत-बहुत शुकिया, आभार सहित। सादर,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 17, 2014 at 12:40am

आवाक क्या है ? ये अवाक है क्या ?

शेरों पर आपने काम किया है बधाई !

Comment by coontee mukerji on April 6, 2014 at 1:07pm

नारि तुलसी-गौतमी औ द्राैपदी,
पूॅूछती हैं प्रश्न पति आवाक है।....क्या बात है केवल जी आप हर बार सब को अवाक कर देते है..अति सुंदर.

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on April 5, 2014 at 10:18pm
अच्छी गजल हेतु बधाई।
आवाक

को
हम अब तक
अवाक ही जानते हैं
बाकी गुनीजनों से आश्वस्त हो लें
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 4, 2014 at 9:50pm

पीर के पत्थर पिघल के सो गए,
नग्न पर्वत देख यति आवाक है।...........बहुत खूब, विशेष रूप से बधाई स्वीकार करें आदरणीय केवल जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 4, 2014 at 3:00pm

आदरणीय केवल भाई , लाजवाब हिन्दी गज़ल कही है , हर शे र उम्दा हुये है ॥ आपको दिली बधाइयाँ ॥

नारि तुलसी-गौतमी औ द्राैपदी,
पूॅूछती हैं प्रश्न पति आवाक है।  -- बहुत खूब !! दिली दाद कुबूल करें ॥

आदरणीय , मेरे ख्याल से बह्र , 2122    2122   212  , होना चाहिये था , एक बार फिर सोच लीजियेगा ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
2 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
5 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service