For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथी! तोड़ न निर्दयता से चुन चुन मेरे पात...

नन्हीं एक लता मैं  निर्बल,
मेरे पास न पुष्प न परिमल,
मेरा सञ्चित कोष यही बस,
कुछ पत्ते कुम्हलाये कोमल,
तोड़ न दे यह शाख अकिञ्चन, निर्मम तीव्र प्रवात...

मैं हर भोर खिलूँ मुस्काती,
पर सन्ध्या आकुलता लाती,
साँस साँस भारी गिन गिन मैं,
रजनी का हर पहर बिताती,
एक नये उज्ज्वल दिन की आशा, मेरी हर रात...

पड़ती तेरी ज्वलित दृष्टि जब,
भीत प्राण भी हो जाते तब,
सहमी सकुचायी मैं कहती-
यह दुर्लभ सौभाग्य मिले कब,
मेरी भी काया हो जिस दिन मलय-सुवासित-स्नात...

-मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 917

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by mohinichordia on January 26, 2014 at 2:25pm

एक नये उज्जवल दिन की आशा , मेरी हर रात...   दुर्बल मन की सोच,  दोनों तरफ   मेरी भी काया हो जिस दिन मलय- सुवासित -स्नात .बहुत सुन्दर शब्दों से सजी रचना  

Comment by अजय कुमार सिंह on January 26, 2014 at 2:15am

अरुन शर्मा 'अनन्त' जी, Maheshwari Kaneri जी, Arun Srivastava जी, laxman dhami जी, vandana जी, annapurna bajpai जी, गिरिराज भंडारी जी एवं शिज्जु शकूर जी - मेरे प्रयास को स्नेह देने हेतु आप सभी गुणीजनों का हार्दिक आभारी हूँ.

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 24, 2014 at 11:07am

अजय भाई वाह बहुत ही सुन्दर गीत रचा है आपने पढ़कर दिल खुश हो गया शब्द चुनाव बहुत ही सुन्दर है हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Maheshwari Kaneri on January 23, 2014 at 3:24pm
नहुत ही सुकोमल गीत ..अजय कुमार जी..
Comment by Arun Sri on January 23, 2014 at 11:09am

एक पुरुष द्वारा ऐसे सुन्दर और कोमल स्त्री भाव सुखद लगे पढ़ने में ! सुन्दर गीत !

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 23, 2014 at 8:31am

आदरणीय अजय भाई गीत ने भवबिभोर कर दिया .हार्दिक बधाई .

Comment by vandana on January 23, 2014 at 7:23am

बहुत सुन्दर गीत आदरणीय 

Comment by annapurna bajpai on January 23, 2014 at 12:26am

बहुत सुंदर गीत हेतु बधाई आपको आ0 अजय जी । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2014 at 8:29pm

आ. अजय भाई , सुन्दर गीत रचना के लिये बधाई ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 22, 2014 at 6:50pm

बहुत अच्छा गीत रचा है भाई अजय जी आपने इस भावपूर्ण गीत के लिये बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
53 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
5 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
15 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service