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गज़ल - नाफरमानी लिखना (अरुन श्री)

आह   लिखो , हुंकार   लिखो ,  कुर्बानी  लिखना

बंद    करो   किस्सों   में    राजा  रानी  लिखना

 

सूखे   खेतों   की   किस्मत  में   पानी  लिखना

अब   लिखना  तो  पीलेपन  को  धानी  लिखना

 

और   भी   हैं   रिश्ते यारों  तुम  छोडो  भी अब

महबूबा   के    दर   अपनी    पेशानी    लिखना

 

मानवता   उन्वान ,  भरा  हो   प्रेम   कहन  में    

अपना   जीवन   ऐसी   एक   कहानी   लिखना

 

जब भी  तुम अपने लब पर मुस्कान लिखो तब

मेरे   माथे   पर   भी   कुछ   ताबानी   लिखना

 

जो  कर  दें   दरबारी   धार  कलम   की ,  ऐसे -

शाही    फरमानों    पर    नाफरमानी   लिखना
.
.
................................................. अरुन श्री !
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Arun Sri on January 22, 2014 at 12:34pm

आशीष नैथानी 'सलिल' भाई , सराहने के लिए धन्यवाद आपको !

Comment by Arun Sri on January 22, 2014 at 12:33pm

gumnaam pithoragarhi सर , बहुत बहुत धन्यवाद आपको !

Comment by Arun Sri on January 22, 2014 at 12:32pm

गिरिराज भंडारी  सर , हौसला बढ़ाया आपने ! धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on January 22, 2014 at 12:22pm

Rahul Dev  सर
सराहने के लिए बहुत धन्यवाद आपको !

Comment by नादिर ख़ान on January 22, 2014 at 8:56am

मानवता   उन्वान ,  भरा  हो   प्रेम   कहन  में    

अपना   जीवन   ऐसी   एक   कहानी   लिखना

आदरणीय अरुण जी उम्दा गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें ।

Comment by vijay nikore on January 22, 2014 at 8:06am

खूबसूरत गज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by vandana on January 22, 2014 at 6:52am

मानवता   उन्वान ,  भरा  हो   प्रेम   कहन  में    

अपना   जीवन   ऐसी   एक   कहानी   लिखना

वाह आदरणीय अरुण जी शानदार ग़ज़ल बहुत२ बधाई 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 22, 2014 at 6:47am

आदरणीय  अरुण  भाई , बहुत लाजवाब गज़ल कही है . हर बेमिसाल शे र के लिए  हार्दिक बधाई स्वीकारें l

Comment by वीनस केसरी on January 22, 2014 at 12:32am

वाह भाई क्या धारदार ग़ज़ल कही है ... मज़ा आ गया

शाही    फरमानों    पर    नाफरमानी   लिखना .. वाह भाई वाह

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on January 21, 2014 at 11:55pm

आह   लिखो , हुंकार   लिखो ,  कुर्बानी  लिखना

बंद    करो   किस्सों   में    राजा  रानी  लिखना

बढ़िया ग़ज़ल भाई !
दाद क़ुबूल हो !

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