For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसका रुमाल …..

टप,टप
टप,टप
अंधेरी रात का
गहरा सन्नाटा
बारिश के बाद
पेड़ों से गिरती बूंदों के
जमीन पर गिरने की आवाजें
सन्नाटे को तोड़ने का
अनवरत प्रयास कर रही थीं
और साथ ही प्रयास कर रही थी वो
अनगिनित बारिशों में
भीगी रातों की भीगी यादें
कहर ढाती बारिश का
तूफ़ान तो रुक जाता है
लेकिन तबाही का मंजर
दूर तक साथ जाता है
जाने सावन को
बीती यादों के साथ
बरसने में क्या मिलता है
खिड़की पर बैठी
सडक पर बहते पानी में
रोड लाईट की
झिलमिल करती परछाई में
पीछे छूटे पलों में
खुद को ढूंढ रही थी
वो स्पर्श,वो एहसास
वो साथ साथ जीने का विश्वास
क्षण भर में
जाने कहाँ खो गया
और मैं
खड़ी की खड़ी
देखती रह गयी
आँखों में सूनापन देकर जाती
निर्मोही ट्रेन को
उसका बाय बाय करता हाथ
दृष्टि से ओझल हो गया
और रह गया साथ मेरे
बस उसका दिया
एक सफेद गीला रुमाल
जिससे उसने कभी
मेरे अश्कों को
गालों पर आने से रोका था
रुमाल में लिपटी स्मृति
मेरी पलकों से आज
द्वन्द कर रही है
न जाने क्यूँ
अभी भी इस दिल को
उसके आने की आस बाकी है
उसका रुमाल मेरे अश्क पोंछेगा
ये विश्वास बाकी है,
ये विश्वास बाकी है,…….

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 907

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2014 at 7:56pm

बहुत बढ़िया वाह बधाई आपको

Comment by Amod Kumar Srivastava on January 4, 2014 at 7:44pm

बहुत ही सुंदर ... रचना ... बधाई स्वीकार करे ... 

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:22pm

aa.Coontee Mukerji jee rachna par aapkee madhur prashansa ka haardik aabhaar

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:21pm

prm aadrneey Kavi Raj Bunedli jee rachna par aapkee aatmeey prashansa ka haardik abhaar

Comment by Sushil Sarna on January 4, 2014 at 6:20pm

aa.Shyam Narain Verma jee rachna par apkee snehil prashansa ka haardik aabhaar

Comment by coontee mukerji on January 4, 2014 at 5:20pm

बहुत बहुत सुंदर भाव ....एक मीठी .कुछ कड़वी यादों में लिपटती एक अटूट विश्वास.....जो मोहब्बत को जिंदा किये हुए होते है.....आजकल के आपाधापी जीवन में ऐसा भीगा प्यार मिलता कहाँ है. हार्दिक बधाई आपको आदरणीय. सादर

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 4, 2014 at 3:24pm

वाह वाह वाह,,,आदरणीय,,,बहुत सुन्दर रचना है,,बधाई आपको,,,,,,,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on January 4, 2014 at 1:15pm

जुदाई और ग़म का अहसास कराती अच्छी रचना , बहुत बहुत बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service