For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी रचना ऐसी हो
मेरी रचना वैसी हो
घूंघट में है रचना मेरी
न जाने वो कैसी हो
शृंगार करूँ मैं सदा कलम का
नित्य हृदय के भावों से
उस पलक द्वार पर देगी दस्तक
जो मेरी रचना की अभिलाषी हो
मौन अधर हों
मौन नयन हों
मौन प्रेम का
हर बंधन हो
बिन बोले जो
कह दे सब कुछ
मेरी रचना ऐसी हो,

हाँ ,मेरी रचना ऐसी हो…….

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 599

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 10, 2014 at 7:15pm


आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, सादर नमस्कार -- रचना की गहन समीक्षा हेतु मैं तहे दिल से आपका शुक्रगुज़ार हूँ। आपके स्नेह भरी थपकी ने मेरे मनोबल को नयी ऊर्जा प्रदान की है। आपका कथन बिलकुल सही है की समयाभाव होने के बावजूद मैं अपने सृजनशीलता को क्रियाशील रखना चाहता हूँ। जितना सम्भव हो सकता है मैं आप जैसे गुणीजनों से ज्ञानार्जन करता रहता हूँ और सृजन का प्रयास करता रहता हूँ। कोशिश करूंगा कि अगली रचनाओं में आपको मेरे द्वारा रचना सृजन में समय की कमी का आभास न हो। आपका हार्दिक आभार। कृपया स्नेह बनाये रखें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 6, 2014 at 3:10pm

आपकी रचनाओं को ध्यान से पढ़ें तो एक अलग ही सुख मिलता है, आदरणीय. बहुत-बहुत बधाई !

लेकिन फिर दिल में एक कचोट सी भी उठती है कि काश आपके पास समुचित समय होता. अपनी तमाम व्यस्तताओं के बावज़ूद आप इतना कुछ लिख जाते हैं यह भी कम नहीं. फिभी कहूँगा, आपकी रचनाओं को आप द्वारा समुचित समय मिलना ही चाहिये. सम्मेलन सुलभ चमत्कार का आग्रह भी आपके साहित्यिक प्रयास को प्रभावित करता है. 

शुभेच्छाएँ.

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2014 at 7:02pm

aa.Akhilesh Krishan Shrivastav jee rachna par aapkee madhur pratikriya ka haardik aabhaar avm aapko nav varsh kee haardik shubhkamnayen

Comment by Sushil Sarna on January 3, 2014 at 7:01pm

aa.Dr.Prachi Singh jee rachna par aapkee aatmeey pratikriya avam amuly sujhaav ka haardik aabhaar avm nav varsh kee haardik shubhkkamnaaye

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 1, 2014 at 7:14pm

आ. सुशील भाई नव वर्ष की शुभ कामनाओं के साथ आपको इस सुंदर भाव पूर्ण रचना  की भी हार्दिक बधाई॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 1, 2014 at 5:37pm

हृदय के भावों से कलम का शृंगार करना सचमुच बहुत भा गया आ० सुशील सरना जी 

फिर भी अभिव्यति गठन और शिल्प में कुछ और प्रयास की अपेक्षा रखती है.

आपको रचना के इन सुन्दर भावों के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on January 1, 2014 at 3:34pm

aa.Satyanarayan Singh jee rachna par aapkee snehil pratikriya ka haardik aabhaar

Comment by Satyanarayan Singh on January 1, 2014 at 11:10am
आ.सुशिल सरना जी रचना के भाव बहुत ही अच्छे है. हार्दिक बधाई एवं नव वर्ष की शुभ कामनाएं
Comment by Sushil Sarna on December 31, 2013 at 6:13pm

aa.Giriraj Bhandari jee rachna par aapkee snehil prashansa ka haardik aabhaar


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 30, 2013 at 8:35pm

वाह वाह , क्या बात है सुशील भाई जी , लाजवाब !! ढेरों बधाइयाँ ॥

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, अवश्य इस बार चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के लिए कुछ कहने की कोशिश करूँगा।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"शिज्जू भाई, आप चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के आयोजन में शिरकत कीजिए. इस माह का छंद दोहा ही होने वाला…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब "
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"धन्यवाद आ. सौरभ सर,आप हमेशा वहीँ ऊँगली रखते हैं जहाँ मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ.ग़ज़ल तक आने, पढने और…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. लक्ष्मण धामी जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..दो तीन सुझाव हैं,.वह सियासत भी कभी निश्छल रही है.लाख…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब,अच्छी ग़ज़ल हुई है ..बधाई स्वीकार करें ..सही को मैं तो सही लेना और पढना…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी साहिब, अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय सौरभ सर, हार्दिक आभार, मेरा लहजा ग़जलों वाला है, इसके अतिरिक्त मैं दौहा ही ठीक-ठाक पढ़ लिख…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service