For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सारथी, अब रुको

ये जुए खोल दो

बस इसी ठांव तक

था नाता तेरा

पथ यहां से अगम

विघ्‍न होंगे चरम

बस इसी गांव तक

था अहाता तेरा

कर्म तरणी सखे

पार ले चल मुझे

सत्‍य साथी मेरे

धर्म त्राता मेरा

होम होना नियम

टूटने दे भरम

नीर नीरव धरा

क्षीर दाता मेरा

जा तुझे है शपथ

कर न मुझको विपथ

फिर मिलूंगा तुझे

है वादा मेरा

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 751

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on November 28, 2013 at 3:56pm

आदरेया महिमा जी एवं राजेश कुमारी जी, आपका हार्दिक आभार

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 28, 2013 at 6:40am

बेहद सुंदर भाव, अनुपम रचना बधाई स्वीकारें आदरणीय राजेश 'मृदु' जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 27, 2013 at 9:57pm

कर्म तरणी सखे

पार ले चल मुझे

सत्‍य साथी मेरे

धर्म त्राता मेरा------कर्म तरणी सखे ---उसी तरह ...सत्य साथी मेरे ..पूर्ण स्पष्ट है ..बहुत सुन्दर भाव शब्द संयोजन अति उत्तम अनुपम रचना हेतु बधाई राजेश मृदु जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 27, 2013 at 9:18pm

आदरणीय राजेश भाई , सुन्दर भावों की अभिव्यति !!! बहुत सुन्दर रचाना !!!! आपको तहे दिल से बधाई !!!!

Comment by MAHIMA SHREE on November 27, 2013 at 9:05pm

सुंदर .. गहन अभिवयक्ति ...बधाई आपको  

Comment by राजेश 'मृदु' on November 27, 2013 at 3:12pm

आदरणीय डॉ साहब सत्‍य को बहुवचन में नहीं लिया है, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on November 27, 2013 at 3:11pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्‍तव जी एवं सुशील जी, आपका हार्दिक आभार ।

Comment by Sushil Sarna on November 27, 2013 at 1:34pm

जा तुझे है शपथ

कर न मुझको विपथ

फिर मिलूंगा तुझे

है वादा मेरा.....gazab ke bhaavon kee yathaarthprak rachna....bahut sundr....haardik badhaaee

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 27, 2013 at 1:28pm

म्रदु जी

कर्म तरणी सखे

पार ले चल मुझे

सत्य साथी मेरे

धर्म त्राता मेरा i     बहुत अच्छे भाव है   पर सत्य बहुबचन क्यों ?

 

कविता अतीव सुन्दर हैं  i मेर्री बधाई स्वीकारे i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service