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सरकार की अपना करो बखान

क्या खूब किया इसने इंसाफ

खाली कर दिया देश खजाना

बचाने को आतंकी मियां “कसाब”

 

हत्याओं की लगा कतार

फाँसी लटके खुद भी यार

पाप की सजा जो तुमने पाई

पाक की इज्जत खाक मिलाई

 

आतंकियों का बन शिरोमणि

ताज पर बमो की झड़ी लगाई

बेगुनाहों का मार के यारा

माफ़ी की फिर गुहार लगाई

 

जख्म भी ऐसे दिए जहाँ को

शैतान भी ले सर झुका

जेल में रह कर भी

पड़ा ना ढीला

बिरयानी खा मौज मनाई

सन्देश देना मात को मेरी

अंतिम इच्छा ये जताई

 

एक युग का अंत हो गया

अब अजमल की भी बारी आई

देश भक्तो ने ख़ुशी मनाई

आंतकियों की जो सामत आई

जय हिन्द जय भारत

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Comment

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Comment by Yogi Saraswat on November 24, 2012 at 11:06am

जख्म भी ऐसे दिए जहाँ को

शैतान भी ले सर झुका

जेल में रह कर भी

पड़ा ना ढीला

बिरयानी खा मौज मनाई

सन्देश देना मात को मेरी

अंतिम इच्छा ये जताई

निस्चित रूप से बुरा लगता है श्री फूल सिंह जी , जब न्याय मिलने में देरी होती है और ऐसे दुर्दांत आतंकवादियों को पाला जाता है ! लेकिन कानून की अपनी रफ्तार होती है ! अब तो आतंकवादियों का पनाहगार खुद आतंक का शिकार हो रहा है ! वो कहते हैं ना की जेया के पांव न फटी बिवाई , वो क्या जाने पीर पराई ! बहुत सामयिक और सटीक शब्द लिखे हैं आपने


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Comment by rajesh kumari on November 22, 2012 at 5:49pm

अच्छी समसामयिक रचना जय भारत 

Comment by Deepak Sharma Kuluvi on November 22, 2012 at 5:46pm

lage raho...lage raho...safalta  milegi zaroor

Comment by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 5:10pm

लक्ष्मण जी प्रणाम

आपका बहुत बहुत शुक्रिया

फूल सिंह

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2012 at 4:42pm

जय हिन्द जय भारत

Comment by akhilesh mishra on November 22, 2012 at 4:27pm

बढ़िया सामयिक कविता ।बधाई  श्रीमान । 

कृपया ध्यान दे...

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