For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मजदूर दिवस पर विशेष 

.

मजदूर दिवस बहुत बड़ी ख़ुशी लेकर आया था. आज मजदूरों के सामने मालिकों को झुकना ही पड़ा था. अन्य सुविधायों के अतिरिक्त मजदूरों की रोजाना दिहाड़ी बढ़ा दी गई उन्हें ओवरटाईम तथा बढ़ा हुआ बोनस देने की घोषणा भी कर दी गई. मजदूर बस्ती में हर तरफ ख़ुशी का माहौल था, अपनी मांगें पूरी होने की ख़ुशी में जहाँ मजदूर मंदिरों जाकर भगवान को धन्यवाद दे रहे थे, वहीँ दूसरी तरफ मजदूर यूनियन के कुछ नेता मालिकों के घर दावत उड़ा रहे थे, क्योंकि एक बात मजदूरों से छुपाई गई थी कि अगले छ: महीनों में २० प्रतिशत मजदूरों की छंटनी कर दी जाएगी.  


Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 4, 2012 at 12:07pm

सादर आभार आदरणीय सौरभ भाई जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 4, 2012 at 12:07pm

लघुकथा पसंद करने के लिए सादर आभार राजेश कुमारी जी. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 3, 2012 at 9:51pm

सशक्त लेखनी से निकली एक तीखी रचना। सचमुच आज का यही सत्य है। अंततः मरता मजदूर ही है। बधाई स्वीकारें

Comment by MAHIMA SHREE on May 3, 2012 at 9:12pm
आदरणीय योगराज सर ,
सादर नमस्कार ..
मजदूरो के मज़बूरी का फायदा उठाने में  मजदूरो के तथाकथित नेता भी उठाने से नहीं चुकते ...
बधाई स्वीकार करें  
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on May 3, 2012 at 7:47pm

सामयिक यथार्थपरक कथा है आपकी! घर के भेदी हर युग में रहे हैं| हार्दिक बधाई आदरणीय अग्रज!

Comment by वीनस केसरी on May 2, 2012 at 11:29pm

श्रमिक वर्ग के जीवन अंश का सुंदर रेखांकन
सार्थक लघुकथा के लिए बधाई


Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 1:27pm

aadarniya pradhan sampadak ji, saadar abhivaadan. 

padha shuru kiya, jiggyasa badhi. aur ant, kya kahna. yahi sacchai hai neta ki aur majdoor ki. 

jara si khushi main ham jashn manate hain

mansha apne rahnumaon ki pahchan na pate hain

badhai sir ji. ipl ki mauj lagti hai rachna main.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 2, 2012 at 9:51am

नेता चाहे देश का हो या संगठन / यूनियन का , बस मौका की तलाश में होता है , जहाँ देखा मौका वाही लगाये चौका, बहुत ही जानदार लघु कथा है आदरणीय प्रधान संपादक जी , बहुत बहुत बधाई |

Comment by Bhawesh Rajpal on May 1, 2012 at 4:10pm

What a dirty game hiding behind promises.

Regards.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 1, 2012 at 3:22pm

यानि लेदे के ’बेतलवा’ उसी डाल पर !  आपकी लघुकथा सही जगह पर सटीक प्रहार करती है.

बधाई स्वीकार करें आदरणीय.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service