For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हास्य घनाक्षरी - 2 / गणेश जी बागी

घनाक्षरी

आया मैं तो कुम्भ में कि, पाप कुछ कटायेंगे,
संगत में साधुओं के, पल दो बितायेंगे ।

पूजा और ध्यान संग, मन भी तो शुद्ध होवे,
संगम के तट पर, डुबकी लगायेंगे ।

भीड़-भाड़ मेला-ठेला, गिर पड़ीं बूढ़ी माता,
फौरन उठाया सोचा, पुण्य ही कमायेंगे ।

माता जी भी खुश हुईं, बोल पड़ी धन्य-धन्य,
मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||

पिछला पोस्ट : हास्य घनाक्षरी - 1 / गणेश जी बागी

Views: 834

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 7:42pm
अरे मैंने सोंचा अब कोई किसी को उठ्येगा नहीं। फिर पता लगा ये तो मात्र हास्य है ।
जय हो बागी जी -
यह तो केवल हास्य है, मात्र हास्य की बात,
अपनाना है यह नहीं, कह लेखक यह  बात ।
Comment by Vivek Shrivastava on February 7, 2013 at 12:54am

हा हा हा हा सही है सर ....आप ने हमें हसा हसा कर किया पागल ....भगवान ....आपको  ........... :)

....यूँ ही अच्छा लिखने कि प्रेरणा दें

Comment by Aarti Sharma on February 6, 2013 at 10:55pm

आदरणीय सर ..मेरी तो हंसी बंद होने का नाम नही ले रही ..:).

मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||..बहुत खूब...बधाई स्वीकारें सर..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 6, 2013 at 9:51pm

हाहाहा, अब कुम्भ में बूढ़ी माताजी को उठाने से पहले....बागी जी आप तो ज़रूर ही डरेंगे ..हाहाहा 

सुन्दर हास्य घनाक्षरी पर हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2013 at 8:56pm

भीड़-भाड़ मेला-ठेला, गिर पड़ीं बूढ़ी माता,
फौरन उठाया सोचा, पुण्य ही कमायेंगे ।

माता जी भी खुश हुईं, बोल पड़ी धन्य-धन्य,
मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||

आदरणीय गणेश सर  हार्दिक बधाई|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 8:28pm

:-)))

प्रभु हम जैसों को वाकई ऐसे-ऐसों के ’कहने’ पर ’उठा’ रहे हैं.. .  हा हा हा.. .

बढिया प्रयास और उत्तम परिणाम, गणेश भाई.  बधाई हो बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on February 6, 2013 at 7:28pm

हा.हा..हा..हा.. अत्यंत आनंददायक घनाक्षरी प्रस्तुत की आपने आदरणीय! मुझे जो उठाया तुझे प्रभु जी उठाएंगे.. :-))) ऐसे ही एक मेरे मित्र हैं जो अक्सर कहा करते हैं कि- "भगवान आपका भला करे लेकिन......" :-)))

सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 6:42pm

हा हा हा हा अंत तो वाकई ग़जब ढा गया सर जी
प्रभु जी उठाएंगे ..........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2013 at 6:34pm

मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे || हाहाहा क्या कहने इस हास्यरसास्वादन हेतु हार्दिक बधाई|

Comment by vijay nikore on February 6, 2013 at 6:06pm

आदरणीय गणेश जी,

सुन्दर हास्य-व्यंग्यकाव्य के लिए साधुवाद।

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
43 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
44 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।"
45 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थित और मार्गदर्शन के लिए आभार। कुछ सुधार किया है…"
47 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. भाई वृजेश जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। मतले में यदि उन्हें सम्बोधित कर रहे हैं…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश , पूरी ग़ज़ल बहुत खूबसूरत हुई है , हार्दिक बधाई स्वीकार करें मतले के उला में मुझे भी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और विस्तार से सुझाव के लिए आभार। इंगित…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आ. बृजेश ब्रज जी,अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें.मतले के ऊला में ये सर्द रात, हवाएं…"
5 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'

बह्र-ए-मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफमुफ़ाइलुन फ़इलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन1212  1122  1212  112/22ये सर्द…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपके सकारात्मक प्रयास के लिए हार्दिक बधाई  आपकी इस प्रस्तुति पर कुछेक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपने, आदरणीय, मेरे उपर्युक्त कहे को देखा तो है, किंतु पूरी तरह से पढ़ा नहीं है। आप उसे धारे-धीरे…"
21 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service