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हास्य घनाक्षरी - 2 / गणेश जी बागी

घनाक्षरी

आया मैं तो कुम्भ में कि, पाप कुछ कटायेंगे,
संगत में साधुओं के, पल दो बितायेंगे ।

पूजा और ध्यान संग, मन भी तो शुद्ध होवे,
संगम के तट पर, डुबकी लगायेंगे ।

भीड़-भाड़ मेला-ठेला, गिर पड़ीं बूढ़ी माता,
फौरन उठाया सोचा, पुण्य ही कमायेंगे ।

माता जी भी खुश हुईं, बोल पड़ी धन्य-धन्य,
मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||

पिछला पोस्ट : हास्य घनाक्षरी - 1 / गणेश जी बागी

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Comment

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 7:42pm
अरे मैंने सोंचा अब कोई किसी को उठ्येगा नहीं। फिर पता लगा ये तो मात्र हास्य है ।
जय हो बागी जी -
यह तो केवल हास्य है, मात्र हास्य की बात,
अपनाना है यह नहीं, कह लेखक यह  बात ।
Comment by Vivek Shrivastava on February 7, 2013 at 12:54am

हा हा हा हा सही है सर ....आप ने हमें हसा हसा कर किया पागल ....भगवान ....आपको  ........... :)

....यूँ ही अच्छा लिखने कि प्रेरणा दें

Comment by Aarti Sharma on February 6, 2013 at 10:55pm

आदरणीय सर ..मेरी तो हंसी बंद होने का नाम नही ले रही ..:).

मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||..बहुत खूब...बधाई स्वीकारें सर..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 6, 2013 at 9:51pm

हाहाहा, अब कुम्भ में बूढ़ी माताजी को उठाने से पहले....बागी जी आप तो ज़रूर ही डरेंगे ..हाहाहा 

सुन्दर हास्य घनाक्षरी पर हार्दिक बधाई. सादर.

Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2013 at 8:56pm

भीड़-भाड़ मेला-ठेला, गिर पड़ीं बूढ़ी माता,
फौरन उठाया सोचा, पुण्य ही कमायेंगे ।

माता जी भी खुश हुईं, बोल पड़ी धन्य-धन्य,
मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे ||

आदरणीय गणेश सर  हार्दिक बधाई|


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 8:28pm

:-)))

प्रभु हम जैसों को वाकई ऐसे-ऐसों के ’कहने’ पर ’उठा’ रहे हैं.. .  हा हा हा.. .

बढिया प्रयास और उत्तम परिणाम, गणेश भाई.  बधाई हो बधाई.

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on February 6, 2013 at 7:28pm

हा.हा..हा..हा.. अत्यंत आनंददायक घनाक्षरी प्रस्तुत की आपने आदरणीय! मुझे जो उठाया तुझे प्रभु जी उठाएंगे.. :-))) ऐसे ही एक मेरे मित्र हैं जो अक्सर कहा करते हैं कि- "भगवान आपका भला करे लेकिन......" :-)))

सादर,

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 6:42pm

हा हा हा हा अंत तो वाकई ग़जब ढा गया सर जी
प्रभु जी उठाएंगे ..........


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2013 at 6:34pm

मुझे जो उठाया- तुझे प्रभु जी उठायेंगे || हाहाहा क्या कहने इस हास्यरसास्वादन हेतु हार्दिक बधाई|

Comment by vijay nikore on February 6, 2013 at 6:06pm

आदरणीय गणेश जी,

सुन्दर हास्य-व्यंग्यकाव्य के लिए साधुवाद।

विजय निकोर

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