For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'मर्म-सौगातें : सोने का देश' [कुछ हाइकु: भाग-2]

1-
मन-हर्षाता
धन्य धन-तेरस
मां लक्ष्मी दाता

2-
धन तेरस
दे अब के बरस
सोने का देश


3-
धन तेरस
सोने की ये चिड़िया
धन से धन्य

4-
धनोपार्जन
से धन-विसर्जन
चादर मैली


5-
धन की दास्तां
धनी-निर्धन व्यथा
कथा में कथा


6-
लड़ी में ज्वाला
प्रकाश, आग, भाग
आत्मायें लड़ीं


7-
पर्व ही गर्व
संदेश सम्प्रेषित
धन का दर्द


8-
दिल की बातें
दीपोत्सव की रातें
मर्म-सौगातें


9-
आतिशबाज़ी
पटाखे व मिष्ठान
धन की आन


10-
शुभ दीवाली
मंगलकामनाएं
हिय--मिलायें

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 663

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 11, 2018 at 12:12pm

 

मेरे ब्लॉग--पटल पर नियमित पाठक रूपेण समय देकर रचनाओं के अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब। समालोचनाओं और मार्गदर्शन की भी ग़ुज़ारिश है।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 9, 2018 at 10:04am

वाह जी वाह क्या कहने बहुत सुन्दर...बधाई आदरणीय

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 7, 2018 at 8:39pm

रचना पर समय देकर अनुमोदन और प्रोत्साहन हेतु सादर हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी  'मुसाफ़िर'  साहिब।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 7, 2018 at 10:52am

आ. भाई शेख शहजाद जी, सुंदर हाइकू हुए हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 6, 2018 at 4:11pm

मेरी इस रचना पटल पर उपस्थित होकर अनुमोदन और हौसला अफ़जाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय समर कबीर साहिब,  आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब और आदरणीया नीलम उपाध्याय साहिबा।

Comment by TEJ VEER SINGH on November 6, 2018 at 2:40pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।बेहतरीन हाइकू।

Comment by Neelam Upadhyaya on November 6, 2018 at 12:58pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी,  बहुत ही बढ़िया हाइकू हुए  हैं।  प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by Samar kabeer on November 6, 2018 at 11:52am

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छे हाइकू लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
50 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
2 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service