For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हमारी सोच को लाचार कर देगा - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२


रवैया  हाकिमों  का  देश  को  बीमार  कर देगा
यहाँ मिलजुल के रहना और भी दुश्वार कर देगा।१।


फँसाया जा रहा है यूँ  अविश्वासों में हमको अब
न जाने कब सखा ही झट पलटके वार कर देगा।२।


सियासत तेल छिड़केगी हमारी बस्तियों में फिर
जलाने का बचा जो काम वो अखबार कर देगा।3।


परोसे झूठ सच जैसा बनाकर मीडिया जो नित
किसी दिन ये हमारी सोच को लाचार कर देगा ।४।


अबोला  शक  बढ़ाता है  रखो  सम्वाद  भाई से
नहीं तो शक खड़ी आँगन में इक दीवार कर देगा।५।


है नफरत हिंदू मुस्लिम में अभी तो सिर्फ चिंगारी

बढ़ा कर उसको सोशल मीडिया अंगार कर देगा।६।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 744

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2018 at 10:14pm

आ. भाई अफरोज जी, स्नेह के लिए आभार ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2018 at 10:12pm

आ. भाई मोहित जी, गजल का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन के लिए आभार ।

Comment by SALIM RAZA REWA on January 2, 2018 at 9:19pm
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 2, 2018 at 5:47pm

आदरणीय लक्ष्मण सर एक बेहतरीन ख्यालों वाली ग़ज़ल के लिए सादर बधाई। आदरणीय बाबूजी का सुझाव उचित है 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 2, 2018 at 3:54pm

जनाब लक्ष्मण धामी साहिब , ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें  । गुणीजनों के मश्वरे का संज्ञान लें ।

Comment by नाथ सोनांचली on January 2, 2018 at 3:54pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन। बढ़िया अशआर के साथ बेहतरीन ग़ज़ल। आली जनाब समर साहब की इस्लाह से और बेहतर हो गयी। बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल पर आपको।

Comment by Samar kabeer on January 2, 2018 at 2:51pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर'जी आदाब,मेरी ग़ज़ल की ज़मीन में आपने अच्छे अशआर निकाले, इसके लिए बधाई स्वीकार करें ।

मतले का ऊला मिसरा अगर यूँ करलें तो बहतर होगा,गेयता बढ जायेगी:-

'रवैया हाकिमों का देश को बीमार कर देगा'

'नहीं तो शक कभी आगन खड़ी दीवार कर देगा'

इस मिसरे में ऐब-ए-तनाफ़ुर है, इस मिसरे को यूँ कर लें तो ऐब भी निकल जाएगा और गेयता भी बहतर होगी :-

'नहीं तो शक खड़ी आँगन में इक दीवार कर देगा'

'ये सोशल मीडिया उसको बढ़ा अंगार कर देगा'

इस मिसरे को यूँ कर लें तो गेयता बहतर हो जाएगी :-

'बढ़ा कर उसको सोशल मीडिया अंगार कर देगा'

Comment by Afroz 'sahr' on January 2, 2018 at 12:18pm
आदरणीय लक्षमण धामी जी सिस्टम पर करारी चोट करती हुई सार्थक रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आपको । "सम्वाद" को संवाद करलें,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
7 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service