For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पांच मिनट के लिए स्टेशन पर गाड़ी रुकी जनरल बोगी में पहले ही बहुत भीड़ थी उसपर बहुत से लोग और घुस आये जिनमे सजे धजे परफ्यूम की सुगंध बिखेरते चार किन्नर भी थे| कुछ लोगों के चेहरे पर अजीब सी मुस्कान आ गई जैसे की कोई मनोरंजन का सामान देख लिया  हो कुछ लोगों ने अजीब सा मुंह बनाया तथा एक साइड को खिसक लिए जैसे की कोई छूत की बीमारी वाले आस- पास आ गए हों|

“अब ये  अपने धंधे पर लगेंगे” वहाँ बैठे लडकों के ग्रुप में से एक ने कहा| “हाँ यार आज कल तो ट्रेन में भी आराम से सफ़र नहीं कर सकते अच्छी मोटी  कमाई करके निकलते हैं ये हिजड़े”|

वहीँ बैठी हुई एक लड़की ने देखा एक किन्नर की तबियत कुछ खराब थी उसने खिसक कर जगह बनाते हुए कहा “आप यहाँ बैठ जाइए आंटी”       

इतना सुनते ही वे लड़के  ठहाका मार कर हँस पड़े एक ने कहा “अब तो हिजड़े भी आंटी हो गए भाई लोगो”|

  “हिजड़े मत बोलना मुन्ना !! हमारी भी कोई इज्जत है किन्नर भले ही कह लो दुबारा जुबान से  हिजड़ा मत बोलना” एक ने आँखें तरेरते हुए कहा|

धीरे धीरे सूरज ढल  रहा था  अँधेरा होने जा रहा  था अगले स्टेशन से दो बदमाश  जबरदस्ती धक्का- मुक्की करते हुए डिब्बे में घुस आये|

गाडी चल पड़ी तो उन दोनों ने  चाक़ू की नोक पर मुसाफिरों को लूटना शुरू किया|

सब की बोलती बंद थी कुछ लोगों की तो घिग्गी बंध गई चुपचाप पैसे जेवर जो भी था निकाल कर देते जा रहे थे | उन लडकों के चेहरों की भी हवाएं  उडी हुई थी वो सब  नीची गर्दन करके चुपचाप बैठे हुए थे |

तभी  एक बदमाश उस लड़की के पास आकर डराता हुआ गले की चैन झपटने  लगा तो पास बैठे किन्नर ने बदमाश का हाथ पकड़ लिया मौक़ा देखते ही बाकी किन्नर भी उनसे उलझ गए हाथापाई में एक किन्नर के पैर  में गोली भी लग गई उनको देख कर एक दो मुसाफिर भी मदद को आ गए किसी ने  गाडी की चैन खींच दी|

इस तरह वो बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़े|

मुसाफिरों ने पुलिस को कहा “आज हम सब इन किन्नरों की वजह से ही बच पाए साहब ”|

 “वरना यहाँ तो कुछ मर्द हिजड़े बने बैठे हुए थे सर!!”  लड़की उन लड़कों की तरफ देखते हुए बोली|

मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

Views: 1548

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 25, 2017 at 12:12pm

प्रिय सीमा मिश्रा जी,आपको लघु कथा पसंद आई स्नेहिल प्रतिक्रिया हेतु आपका बहुत- बहुत आभार|  

Comment by नाथ सोनांचली on April 25, 2017 at 7:38am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम, बहुत उम्दा कथानक के साथ बेहतरीन कहानी, मुझे तो बहुत हृदयस्पर्शी लगी, बधाई इस सृजन पर।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 24, 2017 at 11:49pm
आदरणीया राजेश जी बहुत ही सजीव मर्मस्पर्शी चित्रण किया है आपने इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by Hariom Shrivastava on April 24, 2017 at 11:41pm
बहुत सुंदर व यथार्थता पर आधारित कहानी आदरणीया राजेश कुमारी जी। आज यह एक ज्वलंत समस्या है कि लोग अपराध घटित होते हुए देखते रहते हैं और विरोध की हिम्मत नहीं जुटा पाते। ऐसे लोंगों पर करारा प्रहार किया है।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 24, 2017 at 5:22pm
मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा, सीख देती हुई सुन्दर लघु कथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें
Comment by Seema Mishra on April 24, 2017 at 3:40pm

 आदरणीय राजेश कुमारी जी बहुत सटीक प्रहार करती रचना बहुत बहुत बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service