For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुनियाँ क्या से क्या हो गई-- डॉo विजय शंकर।

दुनियाँ,क्या से क्या
हो गई,
रफ़्तार, हवा से तेज
हो गई ,
जिंदगी, बस एक रेस
हो गई ,
मेहबूब की बातें,
मेहबूब से बातें ,
ग़ज़ल न जाने कहाँ ग़ुम
हो गई,
इश्क न जाने कहाँ खो गया
अफेयर का ज़माना हो गया ,
चलते हैं ,
बदलते हैं ,
कितने फेयर होते हैं ,
जफ़ा को अब कोई रोता नहीं ,
जिक्रे वफ़ा अब कहीं होता नहीं।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2015 at 11:15am
आदरणीय सुश्री प्रतिभा पाण्डेय जी , आपका यह कथन , " सच में आज की रफ़्तार में हम क्या क्या खो रहे हैं ,ये हमें खुद नहीं पता " . बहुत कुछ बयाँ कर गया। कुछ नया पा लेने और कुछ नये बन जाने के चक्कर हम क्या - क्या खो देते हैं हमको अक्सर पता ही नहीं चलता। आपको रचना पसंद आई , आपका ह्रदय से बहुत बहुत आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2015 at 11:07am
आदरणीय समर कबीर साहब , नमस्कार , आपको रचना पसंद आई , आपने उसमें अपने ख्यालों को पाया , मेरे लिए इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है , आपका ह्रदय से बहुत बहुत आभार और धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2015 at 11:02am
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , आपकी उपस्थिति से एक सुखद अनुभूति होती है , आपकी परख से बल मिलता है। आपने रचना को सराहा , आपका बहुत बहुत आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2015 at 10:57am
आप का प्रश्न सही है , दोनों बातें क्रमिक रूप से कही गयी हैं । आदरणीय सुशील सरना जी आपने रचना को समय दिया , उसका मूल्यांकन किया , आपका बहुत बहुत आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 6, 2015 at 10:53am
जब तक ज़िंदा हैं पैर जमीन पर रहें और हम यथार्थ के आस- पास रहें , बस यही जिन्दंगी है। आदरणीय डॉ oकँवर करतार खंदेहड़वी जी आपने रचना को समय दिया , उसका सही मूल्यांकन किया , आपका आभार , धन्यवाद , सादर।
Comment by pratibha pande on October 6, 2015 at 7:39am

सच  में आज की  रफ़्तार  में हम क्या क्या खो रहे हैं ,ये हमें खुद नहीं पता ,इस सरल सी लगने वाली रचना के आज के कॉन्टेक्स्ट में कई गहरे मायने हैं , बधाई आपको आदरणीय 

Comment by Samar kabeer on October 5, 2015 at 11:20pm
आली जनाब डॉ विजय शंकर जी,आदाब,"ग़ज़ल न जाने कहाँ गुम हो गई" वाह ,बहुत ख़ूब,आपकी यह पंक्ति सुन कर मुझे मेरी पुरानी ग़ज़ल का एक मतला याद आ गया ,आपसे साझा करता हूँ :-

"अपनी राह-ए-अमल तलाश करो
खो गई है ग़ज़ल तलाश करो"


इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 5, 2015 at 8:44pm

aa0 Vijay sir

इश्क न जाने कहाँ खो गया
अफेयर का ज़माना हो गया ,
चलते हैं ,
बदलते हैं ,
कितने फेयर होते हैं ,
जफ़ा को अब कोई रोता नहीं ,
जिक्रे वफ़ा अब कहीं होता नहीं।----- बहुत सच कहा  खूब कहा

Comment by Sushil Sarna on October 5, 2015 at 7:26pm

आदरणीय विजय भाई साहिब वर्तमान जज्बातों की अहमियत को चित्रित करती इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई। आदरणीय वफ़ा और जफ़ा तो मुहब्बत के खूबसूरत पहलू हैं जब मुहब्बत ही दिखावा मात्र है तो वफ़ा और जफ़ा का वज़ूद कहाँ होगा। 

Comment by कंवर करतार on October 4, 2015 at 9:35pm

विजय भाई ,जीवन के यथार्थ को छूती सुंदर रचना ,बधाई I

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
12 hours ago
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय सुशील सरना जी, हार्दिक आभार आपका। सादर"
yesterday

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ओबीओ द्वारा इस सफल आयोजन की हार्दिक बधाई।"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
Tuesday
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service