For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्षणिकायें - 7 --- डॉo विजय शंकर

1. फूल जानता है
कितनी है जिंदगी ,
फिर भी खिलता है ,
तो मुस्कुराता है ,
हँसता है ,
खुशियाँ बिखेरता है।

2. पेड़ कहीं जाते नहीं
फल पक जाएँ तो
रुक पाते नहीं ..........

3. क्या फितरत है
तुम्हारी
हमें छोड़ गए और
अपना
न जाने क्या क्या
हमारे पास छोड़ गए ……

4. सादगी भी
अजीब चीज़ है
कितने रंगीन
सपने दिखा देती है ………

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 571

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2015 at 8:23pm
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी , आपको क्षणिकाएँ अच्छी लगी , जान कर प्रसन्नता हुयी। आभार। आपकी इनमें रूचि है , यह जान कर और अधिक प्रसन्नता हुयी।इन्हें समझना बहुत आसान है , बस इसी मंच पर प्रकाशित कुछ क्षणिकाएँ देख डालिये , और जो कुछ दुनियाँ में देखें और आपको आकर्षित करे उसे छोटे से छोटे वाक्यांशों में उतार दीजिये।
आपको धन्यवाद , सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 3, 2015 at 8:17am
आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी मज़ा तो आया ही रचनाएँ पढ़कर, दार्शनिक भावों में डूब कर चिंतन को प्रेरित भी हुआ। बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ । इस विधा के नियम समझना चाहता हूँ
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 3, 2015 at 5:08am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी क्षणिकाएँ आपको पसंद आईं , अच्छा लगा , आपका आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 8:15am

आदरणीय विजय भाई , चारों क्षणिकायें लाजवाब हैं , दिली बधाइयाँ ।

क्या फितरत है
तुम्हारी
हमें छोड़ गए और
अपना
न जाने क्या क्या
हमारे पास छोड़ गए ……  बहुत सुंदर !! 

Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:12am
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , आपकी पसंद का स्वागत है , आपका बहुत बहुतआभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:11am
आदरणीय डॉ o गोपाल नारायण जी , आपका बहुत बहुतआभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 25, 2015 at 10:10am
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी , आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 24, 2015 at 12:28pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, 

बहुत ही बढ़िया क्षणिकाएं हुई है. पहली और चौथी क्षणिका का भाव सम्प्रेषण और प्रभाव बहुत गहन है 

आपको इस उम्दा प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 23, 2015 at 8:54pm

आ0  विजय सर   .बेहतरीन छणिकाये

Comment by Shyam Narain Verma on September 23, 2015 at 10:50am

सुन्दर भाव पूर्ण रचना के लिये आपको बधाइयाँ ।

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
3 hours ago
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
12 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service