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गुलदस्ता - .......३ मुक्तक

गुलदस्ता - ........३ मुक्तक

हर लम्हा ....


जब भी  ये  दिल उदास होता है
जाने कौन  आस  पास  होता है
मेरी तन्हाई को  साँसे देने वाले
हर लम्हा तेरा अहसास होता है

..............................................

तमाम सांसें .....

आपकी हर अदा  को  सलाम करते हैं
अपनी मुहब्बत .आपके नाम करते हैं
वजह बन गए हैं जो हमारे ख़्वाबों की
तमाम सांसें .हम उनके नाम करते हैं

................................................

उनके लबों पे ……..


आज उन के लबों पे हमारा भी नाम आयाहै
साथ बादे सबा के  इक हसीं पैगाम आया है
देख  आसमाँ के महताब अब ख़फा न होना
आज हम से मिलने  ज़मीं का चाँद आया है


सुशीलसरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on May 25, 2015 at 9:57pm

सुंदर प्रस्तुति के लिये हार्दिक बधाई. आ0 सुशील भाई जी, 

Comment by Sushil Sarna on May 25, 2015 at 8:40pm
Comment by Sushil Sarna on May 25, 2015 at 8:40pm

आदरणीय  Samar kabeerजी मुक्तक पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। गाने के बोल ये मात्र संयोग हो सकता है बाकी ज़हन में जैसे ख्याल आये , लिख दिया। 

Comment by Sushil Sarna on May 25, 2015 at 8:39pm

आदरणीय  Manoj kumar Ahsaas जी मुक्तक पर आपके स्नेह का हार्दिक आभार। गाने के बोल ये मात्र संयोग हो सकता है बाकी ज़हन में जैसे ख्याल आये , लिख दिया। 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 25, 2015 at 4:40pm

बेहतरीन

अंतिम बंद के क्या कहने !

Comment by Samar kabeer on May 25, 2015 at 4:03pm
जनाब सुशील सरना जी,आदाब,पहले मुक्तक में फ़िल्मी गीत की पंक्तियाँ आ गई हैं,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

"सुशील आपने अच्छे मुक्तक लिखे हैं
खुले दिल से ये बोलना चाहता हूँ"
Comment by मनोज अहसास on May 25, 2015 at 3:48pm
बहुत खूब
पहले मुक्तक में शायद किसी गाने के बोल है
सादर

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