For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गलत करने का हक़ -- डा० विजय शंकर

सही होने ,
सही कहने ,
सही करने का
अधिकार किसको चाहिए ॥
किसी को थोड़ा ,
किसी को ज्यादा ,
गलत कर लेने का
हक़ सबको चाहिए ॥
किसी-किसी को तो
गुनाह करने का अख्तियार ,
भी बेइंतिहा चाहिए ॥

दुनियाँ को अच्छा होना चाहिए ।
हमारे गुनाहों पे पर्दा होना चाहिए ।
हमारे गलत कामों पर चुप,
निगाह नीची , और चर्चा पर
कठोर प्रतिबंध होना चाहिए ।
दुनियाँ में कुछ तो
शर्म-औ-हया होनी चाहिए ।
हम हैं तो ये जहांन है, ज़माना है,
दुनियाँ को हमारा
शुक्रगुजार होना चाहिए ॥
क्या फरक पड़ता है ,
कोई दब गया पैरों के नीचे हमारे ,
या किसी के अरमान कुचल गए,
या मंसूबे किसी के डूब गए सारे ,
लोग तो बस हमारी आरती उतारें
सुबह - शाम पूजे पाँव हमारे ,
क्योंकि हमीं तो उनकें हैं पालनहारे,
हमीं तो उनकें, सबके हैं पालनहारे।।

मौलिक एवं अप्रकाशित.
डा० विजय शंकर

Views: 648

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 1, 2015 at 8:52am
प्रिय जितेंद्र जी , आपकी प्रशस्ति के लिए आभार , बधाई के लिए धन्यवाद, सादर।
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:45am

बहुत सुंदर. सामयिक कटाक्ष करती पंक्तियों पर बहुत-बहुत बधाई ,आदरणीय डा.विजय जी

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 31, 2015 at 9:35pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी , प्रस्तुति आपको पसंद आई , बहुत बहुत आभार , बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 31, 2015 at 9:32pm
प्रिय कृष्ण मिश्रा जी , प्रस्तुति को आपकी स्वीकृति मिली, आभार , बधाई हेतु ह्रदय से धन्यवाद, सादर।
Comment by Shyam Mathpal on March 31, 2015 at 8:14pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, 

क्या बात कही आपने. अपने लिए कुछ और औरों के लिए कुछ और. ढेरों बधाई .

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 31, 2015 at 5:04pm

बहुत सुन्दर! दोआयामी दुनिया का सुन्दर चित्रण!बहुत बहुत बधाईयां आदरणीय!

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 31, 2015 at 10:10am
आदरणीय शिज्जु शकूर जी , आपकी प्रशस्ति के लिए आभार , बधाई हेतु बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 31, 2015 at 10:08am
आदरणीय लक्षमण धामी जी आपका बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 31, 2015 at 9:31am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर लाजवाब रचना है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 31, 2015 at 6:17am

आ0 भाई विजय शंकर जी इस व्यंग्यात्मक कविता के लिए हार्दिक बधाई ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service