2122 2122 2122 212
क्या मुआफी मांग इंसा यूँ भला हो जायेगा
एक अच्छाई से दानव, देवता हो जायेगा ?
खूब घेरी चाँद को , बेशक हज़ारों बदलियाँ
क्या लगा ये ? चाँद भी अब साँवला हो जायेगा
जिस तरह से धूप अब अठखेलियाँ करने लगी
सच अगर तू देख लेगा , बावला हो जायेगा
थोड़ा डर भी है सताता इस जमे विश्वास को
पर कभी लगता, चमन फिर से हरा जो जायेगा
हौसलों को तुम अमल में भी कभी आने तो दो
सिर्फ़ बातें ही करोगे , बोथरा हो जायेगा
आज फूलों को मसलता घूमता है, कल वही
आपकी खामोशियों से जाने क्या हो जायेगा
अर्श पे बैठे हुवों को जानना होगा ज़रूर
आज जो कुछ वो करेंगे , कायदा हो जायेगा
चंद दाने छीट दो तुम पंछियों के वास्ते
वरना गुम्बद कुछ दिनों में बेसदा हो जायेगा
चाँद की इन कोशिशों से आप रंजीदा न हों
रोज़ थोड़ा बढ़ रहा है तो बड़ा हो जायेगा
मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
आदरणीय सौरभ भाई , आपकी खुशी मे ही मेरी सफलता छिपी है , बहुत अच्छा लगा , आपकी प्रतिक्रिया ने हार्दिक खुशी दी है , आपका तहे दिल से आभार !!
आदरणीय नादिर खान भाई , ज़र्रा नवाज़ी का तहे दिल से शुक्रिया ॥
जय हो.. क्या बात है.. आदरणीय गिरिराह भाई आपने खुश कर दिया.
सादर
चंद दाने छीट दो तुम पंछियों के वास्ते
वरना गुम्बद कुछ दिनों में बेसदा हो जायेगा .आदरणीय गिरिराज जी सुंदर विचारों से सजी शानदार गज़ल के लिए बधाई ....
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , आपकी सराहना हमेशा मेरा उत्साह वर्धन करती है , आपका हार्दिक आभार ! ऐसे ही स्नेह बनाये रखें !
आदरणीय जितेन्द्र भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!
बहुत खूब गिरिराज जी, अच्छे अश’आर हुए हैं। दिली दाद कुबूल करें।
बहुत खुबसूरत गजल कही आपने आदरणीय गिरिराज जी
अर्श पे बैठे हुवों को जानना होगा ज़रूर
आज जो कुछ वो करेंगे , कायदा हो जायेगा............दिली बधाई स्वीकार करें
आदरणीय मुकेश भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!
आदरणीय इमरान भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ! आ. इमरान भाई घेरी कह के है घेरने की क्रिया का पूरा हो चुकी कहना चाहता हूँ , धेरे मे भविष्य मे घेरे जाने की इच्छा -भाव का भी बोध रहा है ! फिर भी अगर घेरी कहना व्याकरण सम्मत नही है तो मै घेरे कर लूंगा !!
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