For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंदिरों में है बसेरा मस्जिदों में घर तेरा

मंदिरों में है बसेरा मस्जिदों में घर तेरा 
ऐ परिन्दा बोल आख़िर कौन है रहबर तेरा ?

तेरे ज़ख्मों को भरेगा कौन ऐ हिन्दोस्तां ?
मुददतों से है पड़ा बीमार चारागर तेरा 

अम्न के दुश्मन ने फिर ओढ़ा है चाँदी का नक़ाब 
हो न जाये बेअसर इस बार भी पत्थर तेरा 

इस तरफ मोहताज टूटी खाट को आम आदमी 
उस तरफ मख़मल पे सोता है हर इक नौकर तेरा

सोच दिल पे हाथ रखकर ऐ वतन के नौजवां 
हादसों के बाद क्यों आता है नाम अक्सर तेरा

.

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 712

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 15, 2013 at 7:34am

उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई .. वाह वाह 

Comment by Sushil.Joshi on November 14, 2013 at 9:20pm

खूबसूरत प्रस्तुति है आ0 सुशील भाई जी...... हार्दिक बधाई....


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 14, 2013 at 8:38pm

आदरणीय सुशील भाई , लाजवाब गज़ल कही है !!! ढेरों बधाई स्वीकार करें !!!

अम्न के दुश्मन ने फिर ओढ़ा है चाँदी का नक़ाब 
हो न जाये बेअसर इस बार भी पत्थर तेरा -वाह वाह! ये शेर बहुत बढ़िया लगा भाई !!!!!

(अंतिम शेर का अंतिम मिसरा एक बार और देख लें )

Comment by Neeraj Nishchal on November 14, 2013 at 7:37pm

मंदिरों में है बसेरा मस्जिदों में घर तेरा
ऐ परिन्दा बोल आख़िर कौन है रहबर तेरा ?

कोई जवाब नही आपकी इन पंक्तियों का
बहुत ही खूबसूरत ।

Comment by Abhinav Arun on November 14, 2013 at 7:25pm

रचना भावपूर्ण है , हार्दिक शुभकामनायें सुशील जी !!

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 14, 2013 at 7:12pm

बेहतरीन  शुरुआत  i

रंग लाती है हिना पत्थर पे घिस जाने के बाद

प्रयास सराहनीय है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
7 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service