For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कोई और नहीं-- लघुकथा

उसकी उम्मीद अब छूटने लगी थी, लगभग आधा घंटा होने को आया था. कोई अपनी गाड़ी रोकने को तैयार नहीं था और पिताजी लगभग बेहोश सड़क के किनारे पड़े हुए थे. एकदम से सामने एक जानवर आया और उसको बचाने के चक्कर में बाइक असंतुलित होकर उलट गयी.
सड़क काफी खाली थी और शाम हो चली थी. तभी एक गाड़ी दूर से आती दिखी और वह उसे रोकने का प्रयास करने लगा. उस कार वाले ने गाड़ी रोकी, उतर कर उसके पास आया और तुरंत पिताजी को हाथ लगाकर अपने कार में डाला.
नजदीक के हस्पताल में पहुंचकर गाड़ी वाले ने इमरजेंसी तक पिताजी को पहुँचाया और वापस जाने के लिए मुड़ गया. उसने उसको धन्यवाद देते हुए उसका नाम पूछा तो उसने मना कर दिया. जाते जाते बस उसने इतना कहा "मेरे पिताजी को किसी ने भी ऐसी हालत में हस्पताल नहीं पहुँचाया था और मैं उनको बचा नहीं सका. बस और कोई ऐसे दम न तोड़े, इसका ध्यान रखना".

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 639

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on September 14, 2018 at 12:02pm

बहुत बहुत आभार आ जवाहर लाल सिंह साहब, ऐसे लोगों पर ही दुनिया टिकी है

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on September 13, 2018 at 8:29pm

आदरणीय विनय कुमार जी, आपने सच्ची कथा लिख दी  है. जबकि भागदौड़ की इस जिन्दगी में कोई भी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को मदद करने की जहमत नहीं उठाना चाहता पर कुछ लोग तो ऐसे होते ही हैं... मानवता अभी भी जिन्दा है कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में! सादर!

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ बबिता गुप्ता जी

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ आशीष यादव साहब

Comment by विनय कुमार on September 10, 2018 at 7:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ शेख शहज़ाद उस्मानी साहब

Comment by Samar kabeer on September 9, 2018 at 8:01pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on September 8, 2018 at 10:46pm

सकारात्मक सोच के साथ मानवता अभी ज़िंदा हैं,का संदेश देती बेहतरीन रचना,हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय विनय सरजी.

Comment by आशीष यादव on September 8, 2018 at 1:07pm

सँदेसपरक। झटके से दिल तक को छू लिया।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 7, 2018 at 7:57pm

बहुत ही समसामयिक मुद्दे पर सकारात्मक, प्रेरक व विचारोत्तेजक रचना हेतु सादर हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service