For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जनता जस-की-तस! (छंदमुक्त/अतुकांत कविता)

विश्वास-अविश्वास की बहस
जगहंसाई के रहस्य
फ़िल्मी रस
लोकतंत्र को डस
संस्कार तहस-नहस
रो ले , सो ले या बस हंस!
जनता जस-की-तस!
*
अचरज ही अचरज
वर्षों पुराना मरज़
डीलें संवेदनशील

अपनों को बस लील
ग़रीबों पर तरस
धन अमीरों पर बरस
फ़िल्मी रस
व्यवस्था तहस-नहस!
मतदाता जस-का-तस!
*
राज़ों का संत्रास
हिलते स्तंभों के आभास
धर्म-गुरुओं के दास
बदले राजनीति के अंदाज़
जनता पर ग़ाज़
गप्पों की झप्पी
विवादों की लत्ती
बड़बोलेपन की मस्ती
हंसी-मज़ाक, ग़रीबी सस्ती
विश्वास-अविश्वास की बहस
विधि-विधान तहस-नहस
संविधान को डस!
जनता जस-की-तस!


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:34pm

हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहिब और जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:32pm

मेरी इस प्रविष्टि पर समय देकर टिप्प्णियों द्वारा अनुमोदन और विचार साझा करने हेतु और पुनः स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब  डॉ. आशुतोष मिश्रा  साहिब , मुहतरमा नीलम उपाध्याय साहिबा ,  मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब , मुुुहतरमा नीता कसार साहिबा,  मुहतरमा बबीता गुप्ता साहिबा, मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब, जनाब तेजवीर सिंह साहिब , जनाब सुशील सरना साहिब साहिब, जनाब नवीन मणि त्रिपाठी साहिब और जनाब   लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर साहिब

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 31, 2018 at 10:16pm

आ0 उस्मानी साहब बहुत अच्छी रचना हेतु बधाई 

Comment by Shyam Narain Verma on July 23, 2018 at 2:54pm
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ सादर 
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 22, 2018 at 8:06pm

आ. भाई शेख शहजाद जी, अच्छी रचना हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Samar kabeer on July 22, 2018 at 12:06pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,उम्दा अतुकान्त कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohammed Arif on July 22, 2018 at 7:51am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                        सामयिक और विचारोत्तेजक कविता । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by babitagupta on July 21, 2018 at 11:13pm

बेहतरीन रचना देश की राजनीति, सामाजिक, आर्थिक सभी को बयां करती, बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सर जी. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service