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तोड़ कर आप दिल अब किधर जाएंगे

212 212 212 212


आप जब आईने में सँवर जाएंगे ।
फिर तसव्वुर मेरे चाँद पर जाएंगे ।।1

गर इरादा हमारा सलामत रहा ।
तो सितारे जमीं पर उतर जायेंगे ।।2

आज महफ़िल में वो आएंगे बेनकाब ।
देखकर हुस्न को इक नज़र जाएंगे ।।3

आज मौसम हसीं ढल गयी शाम है ।
तोड़कर आप दिल अब किधर जाएंगे ।।4

कीजिये बेसबब और इनकार मत ।
हौसले और मेरे निखर जाएंगे ।।5

जानकर क्या करेंगे वो अब हाले दिल ।
खुल गई गर जुबां तो सिहर जाएँगे ।।6

उँगलियाँ मत उठाओ अभी इश्क़ पर ।
ठोकरें खा के हम भी सुधर जाएंगे ।।7

अब निभाने की बातें बहुत हो चुकीं ।
मुझको मालूम है वो मुकर जाएंगे ।।8

ये अना बेरुखी देखकर लोग तो ।
दिल लगाने से पहले ही डर जाएंगे ।।9

हिज्र से फर्क इतना पड़ेगा यहाँ ।
ख्वाब थे कुछ बुने जो बिखर जायेंगे ।।10

मैकदे मत बुला दिल पे काबू कहाँ ।
हम जो आये तो हद से गुज़र जाएंगे ।।

---नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित
कानपुर

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Comment by Naveen Mani Tripathi on July 2, 2018 at 10:36pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी आपके इस स्नेह हेतु हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 2, 2018 at 10:35pm

आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 2, 2018 at 4:13pm

आदरणीय नवीन मणि जी, खूबसूरत गजल की पेश के लिए मुबारकबाद कुबूल करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2018 at 9:04pm

आ. भाई नवीन जी, सुंदर गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 1, 2018 at 7:52pm

आ0  गुमनाम पिथौरा गढ़ी साहब सादर आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 1, 2018 at 7:51pm

आ0 सुशील सरन साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 1, 2018 at 7:50pm

आ0 तेजवीर सिंह साहब हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on July 1, 2018 at 7:49pm

आदरणीय कबीर सर आपकी पैनी नजर को सलाम करता हूँ । हार्दिक आभार के साथ नमन ।

Comment by Samar kabeer on July 1, 2018 at 6:24pm

जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद वेश करता हूँ ।

'फिर तसव्वुर मेरे चाँद पर जाएंगे'

इस मिसरे में 'तसव्वुर' एक वचन है, और 'मेरे' शब्द बहुवचन है,'तसव्वुर' का बहुवचन होता है "तसव्वुरात",इस मिसरे को यों कर सकते हैं:-

'फिर तसव्वुर में हम चाँद पर जाएंगे'

Comment by TEJ VEER SINGH on July 1, 2018 at 6:22pm

हार्दिक बधाई आदरणीय नवीन मणि साहब जी। लाज़वाब गज़ल।

अब निभाने की बातें बहुत हो चुकीं ।
मुझको मालूम है वो मुकर जाएंगे ।।

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