For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे-मेरे दोहे - (२)

तेरे-मेरे दोहे - (२)

नर समझाये नार को, नार करे तकरार,
रार-रार में खो गया ,मधुर पलों का प्यार।१ ।

बिन तेरे पूनम सखा , लगे अमावस रात ,
प्रणय प्रतीक्षा दे गयी ,अश्कों की सौग़ात।२।

तेरी मीठी याद है ,इक मीठा अहसास,
रास न आये श्वास को, जीवन का मधुमास।३ ।

अवगुंठन में देह की ,स्पंदन हुए उदास,
दृगजल बन बहने लगी , अंतर्मन की प्यास।४ ।

मौन भाव को मिल गए ,स्पर्श मधुर आयाम ,
पलक नगर को दे गए, स्वप्न अमर पैग़ाम। ५।

तृप्ति यहां आभास है, तृष्णा अनबुझ प्यास,
हर पल लगती देह को, श्वासें बस आभास ।६ ।

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 578

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2017 at 3:16pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब ... प्रस्तुति को अपनी मधुर शब्दों से अलंकृत करने का दिल से आभार। ये सुझाव ही तो सृजन को निखारने का काम करते हैं सर। सादर। ...

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2017 at 3:14pm

आदरणीय मो.आरिफ साहिब , आदाब ... प्रस्तुति आपकी मधुर प्रशंसा की दिल से आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2017 at 3:14pm

आदरणीय डॉ पवन मिश्र जी सृजन को अपनी मधुर प्रशंसा से उपकृत करने का हार्दिक आभार। दूसरे दोहे के प्रथम चरण के बारे में आपका संशय सही है। मैं उसे अभी एडिट कर देता हूँ। बाकी इंगित शब्दों पर आपकी टिप्पणी को भविष्य अवशय ध्यान में रखूंगा। आपने समय दिया , आपका हर सुझाव मेरे लिए अनमोल है। सादर। ...

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2017 at 3:14pm

आदरणीय मनोज कुमार श्रीवास्तवा जी सृजन को मनोहारी प्रतिक्रिया से शोभित करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2017 at 3:13pm

आदरणीय उस्मानी साहिब, आदाब ... सर सृजन के भावों को अपनी आत्मीय प्रशंसा से मान देने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on December 5, 2017 at 3:11pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर दोहे रचे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

डॉ.पवन मिश्र साहिब के सुझाव उत्तम हैं ।

Comment by Mohammed Arif on December 5, 2017 at 8:03am

आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,

                          प्रेम के उपवन में विचरण करते बेहतरीन दोहे । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 5, 2017 at 7:06am

आदरणीय सुशील सरना जी, सुंदर दोहावली। अनेकों बधाइयाँ। दूसरे दोहे के प्रथम चरण में अटकाव है, प्रिय के कारण एक मात्रा कम हो रही है। कृपया देख लीजिये। एक निवेदन और है सुंदर हिंदी शब्दो से सजी प्रस्तुति में सौग़ात और पैग़ाम जैसे दो शब्द कुछ खटक से रहे। यह मात्र मेरी पाठकीय टिप्पणी है आदरणीय

Comment by Manoj kumar shrivastava on December 4, 2017 at 9:36pm

आदरणीय सरना जी, सादर वन्दे! बहुत ही सुंदर विरह रचना है। कोटिशः बधाइयाॅं स्वीकार करें।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 4, 2017 at 9:35pm

बहुत ही भावपूर्ण रिश्तों की तह तक ले जाती बेहतरीन दोहावली सृजन के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय सुशील सरना जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service