For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'साहेब हमरी किडनी ख़राब है  I  इलाजु चलि रहा है I  उनकी जगह हमरे लरिकऊ का नौकरी तो दिहेव मालिक पर अकेलु लरिका नोडा (नॉएडा) चला जाई तो हमार देखभाल कौन करी I  इसै हियें लखनऊ माँ जगह दै देव साहेब , नहीं तो ई बुढ़िया मरि जाई I

'हाँ साहेब !" बेटे ने भी हाथ जोड़कर मिन्नत की I

' ठीक है, तुम लोग बाहर जाओ I  मै कुछ करता हूँ  I" 

माँ-बेटे बाहर चले गए I 'थोड़ी देर में  माँ को बाहर छोड़ कर बेटा फिर अन्दर आया I

'येस?' - साहेब ने प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा I

'सर,  मेरी माँ पढ़ी-लिखी नहीं है i मंदबुद्धि है I  उसे पता नहीं है कि यहाँ लखनऊ में कोई कैरियर नहीं है I  साहेब मुझे नॉएडा में ही ----'

मौलिक /अप्रकाशित

(संशोधित)

Views: 914

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 28, 2014 at 7:30pm

सुरेन्द्र कुमार जी

आपका बहुत धन्यवाद i

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on May 28, 2014 at 7:09pm

आदरणीय डॉ गोपाल जी छोटी सी लघु कथा कितना बड़ा दृश्य दिखा गयी आज लगभग हर घर के बूढ़ों की दुर्दशा इस कारण से हो जाती है उनकी परवाह करने वाला आस पास कोई नहीं। बहुत खूब बधाई
भमर ५

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 20, 2013 at 2:12pm

आदरणीय सौरभ जी

आपका स्नेह पाकर कृतार्थ  हुआ i इतनी भावपूर्ण टिप्पणी i  सादर आदरणीय

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 20, 2013 at 2:09pm

सुभ्रांशु पाण्डेय जी

आपका सादर  आभार i

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 19, 2013 at 4:24pm

आदरणीय गोपाल नारायनजी, सही है, ज़िन्दग़ी थम नहीं जाती, न ही ढहते ढूहो की अमानत मात्र होती है. लेकिन यह भी सही है कि इन्हीं ढूहों की तबकी जवान छाँवों में हर ज़िन्दग़ी ने आँखें खोली हुई होती हैं और अपने थपकते पैरों को साधना सीखा हुआ होता है. जीवन की ज़द्दोज़हद कृतज्ञता ज्ञापन से भी महरूम न कर दे, ऐसा स्वर्ग भी नहीं चाहिये.

बूढ़ी आँखों की बेबस उम्मीद और भविष्य के प्रति बनी अदम्य जवान आशा के बलवती होने के मध्य उभर रहे असंतुलन को अपनी लघुकथा में सुन्दरता से पिरोया है आपने.
बधाई हो.
सादर

Comment by Shubhranshu Pandey on December 19, 2013 at 4:13pm

आदरणीय गोपाल जी,

बहुत सुन्दर कथा. माँ की इच्छा लखनऊ और बेटे की नोएडा.. इस द्वन्द्व को बखूबी उभारा है.

सादर.

 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 13, 2013 at 7:41pm

महनीया  प्राची जी

मै सकारात्मक सुझाव का सदैव स्वागत करता हूँ i अनुपालन  भी करता हूँ i स्वयं को मांजता भी हूँ i हर्ष इस बात का है की सभी विद्वान बड़े सहयोगी और मार्ग दर्शक है  i  आदरणीय बागी जी, प्रभाकर जी , सौरभ जी और आप तथा  कुछ अन्य की बातो को  और साथ ही आप सब की रचनाधर्मिता  को  मै काफी गंभीरता से लेता हूँ  और सम्मान भी देता हूँ i  हम सभी  अथाह की ही तो थाह लेने की कोशिश करते है और अपने अनुभव बांटते है i  आपका शत-शत आभार i आदरणीया  i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 13, 2013 at 7:27pm

राजेश कुमारी जी

आपकी भावनाओ का स्वागत और समादर  i  बहत धन्यवाद i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 13, 2013 at 7:25pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी

शत-शत आभार i


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 13, 2013 at 9:42am

आज के नवयुवको के मन में, तरक्की के लिए बीमार माँ को छोड़ बड़े शहर जाने की लालसा को सार्थकता से दिखाया है..

लघुकथा गठन पर आदरणीय प्रधान सम्पादक महोदय ने बहुत ही सम्यक सुझाव दिए हैं.. जिस तरह पंक्तियों को विशेष उद्दृत करके स्पष्ट किया है.. इससे लघुकथा विधा पर लिखने वाला हर नवरचनाकार आसानी से शिल्पगत बारीकियां सीख सकता है.

सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service