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हाइकू 
******
भूख मरी है 
दो चित्र जीवन के 
भुखमरी है 
-----
पेपर पढ़ा 
भूखा उस पे सोया 
पेपर बिछा 
---------
धरा पे भेज 
भरे जीवन - रंग 
वो रंगरेज 
--------
भजन कर 
सर्व शक्तिमान का 
नमन कर 
------
अविनाश बागडे 
---------------------
(मौलिक/अप्रकाशित )

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 1:10am

आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई, आदरणीय.

हाइकु के विधान के अनुरूप डॉ. प्राची ने सही विवेचना किया है जो अनुकरणीय है.

सादर

Comment by AVINASH S BAGDE on October 10, 2013 at 7:21pm

आभारKewal Prasad JI

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 9, 2013 at 8:00pm

वाह!    बहुत खूब...! बधार्इ स्वीकारें।  सादर

Comment by AVINASH S BAGDE on October 9, 2013 at 7:53pm

ह्रदय से आभार 

आदरणीय डॉ प्राची जी ....आपका विवेचन सर आँखों पे /भविष्यमे ध्यान रखूँगा /साधुवाद 
Comment by AVINASH S BAGDE on October 9, 2013 at 7:53pm

Abhinav Arun ji/Sushil.Joshi ji/नादिर ख़ान sahab/अरुन शर्मा 'अनन्त' ji/गिरिराज भंडारी bhai/विजय मिश्र ji aur savita agarwal mam.....सभी स्नेही जानो का ह्रदय से आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 9, 2013 at 3:28pm
भूख मरी है 
दो चित्र जीवन के 
भुखमरी है ...............सुन्दर हायकू ...हार्दिक बधाई 
.
पेपर पढ़ा 
भूखा उस पे सोया..................ये पंक्ति अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं रखती बल्कि पहली पर आश्रित है  
पेपर बिछा 
.
भजन कर 
सर्व शक्तिमान का....................इस पंक्ति का भी कोइ पूर्ण अर्थ नहीं 
नमन कर 
सादर शुभकामनाएं 
Comment by savita agarwal on October 9, 2013 at 2:58pm
बधाई आपको सब भावो से भरे हुए ......
Comment by विजय मिश्र on October 9, 2013 at 2:06pm
बर्बस ही आपके हाइकू के लिए आदर उपजती है ,बहुत सुव्यवस्थित रचना है और अंतर्निहित चिंतन अवश्य एकबार सोचने को बिवश करता है . अत्यंत मार्मिक .बहुत बहुत धन्यवाद अविनाशजी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 9, 2013 at 1:55pm

आदरणीय अविनाश जी सुन्दर हाईकू के लिये बधाई !!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 9, 2013 at 1:16pm

वाह आदरणीय लाजवाब हाइकू रचे हैं आपने कितना सुन्दर दृश्य उकेरा है वाह बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

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