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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – December 2020 Archive (4)

धरती माता ने सारे दुख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२२२२/२२२२/२२२२/२२२



धरती माता ने सारे दुख हलधर को दे डाले हैं

लेकिन उसने हँसते हँसते पेट अनेकों पाले हैं।१।

*

उद्योगों को नीर बहुत है करने को उपयोग मगर

इसकी खेती को जल जीवन तो नदियों में नाले हैं।२।

*

इसके हर साधन पर कब्जा औरों की मनमानी का

मौसम के हालातों  जैसे  हालात स्वयम् के ढाले हैं।३।

*

खेती करके भूखा रहता हलधर देखो रोज यहाँ

व्यापारी के श्वानों के मुँह मक्खन भरे निवाले हैं।४।

*

सरकारों ने पथ पथरीले जो शूलों के साथ दिये

उनके…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 27, 2020 at 8:32pm — 6 Comments

चोरी करता है - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

२२२२/२२२२/२२२२/२२२



खेतीहर का ध्यान बँटाकर दाना चोरी करता है

मल्लाहों से नौका लेकर नदिया चोरी करता है।१।

*

बात उजाले की  नित  कर के तारा चोरी करता है

मन्दिर मस्जिद रटकर सबकी पूजा चोरी करता है।२।

*

मन्जिल पास बड़ी है अब तो राहत पाँवों को देदो

ऐसा कह कर सब के  पग से रस्ता चोरी करता है।३।

*

ये कैसा राजा  आया  है  आज  हमारी नगरी में

सन्तों  जैसे  पहरावे  में …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 7:04am — 9 Comments

अन्नदाता के लिए -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'(गजल)

२१२२/२१२२/२१२२/२१२२/२१२



बाढ़-सूखा सूदखोरी  हर  समय  डर अन्नदाता के लिए

कौन सी सरकार चिन्तित है यहा पर अन्नदाता के लिए।१।

**

हर समय उद्योगपतियों की उन्हें चिन्ता सताती है मगर

खोज पाये संकटों का हल न अफसर अन्नदाता के लिए।२।

*

कर के उद्यम से यहा तैयार उसको नित्य बोता है उपज

मायने रखता नहीं कुछ  खेत  ऊसर अन्नदाता के लिए।३।

*

नित्य भूखे पेट सोता  है  उपज  को वो बचाने खेत…

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 14, 2020 at 8:00am — 12 Comments

सब्र दशकों से किये है -लक्ष्मण धामी'मुसाफिर' (गजल)

२१२२/२१२२/२१२२/२१२



कौन कहता है कि उनसे और वादा कीजिए

है निवेदन जो किया था वो ही पूरा कीजिए।१।

*

सब्र दशकों से किये  है  आमजन इस देश का

अब गरीबी भूख का कुछ तो सफाया कीजिए।२।

*

बस चुनावों में विरोधी बाद उस के सब सखा

मूर्ख जनता को समझ ऐसे न साधा कीजिए।३।

*

जल रहा कश्मीर तुमको फिक्र अपने कुनबे की

सिर्फ  कुर्सी  के  लिए …

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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2020 at 7:30am — 10 Comments

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"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
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"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
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"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
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"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
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