For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – December 2019 Archive (4)

नव वर्ष के दोहे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

सँस्कार की  नींव  हो, उन्नति  का प्रासाद

मन की ही बंदिश रहे, मन से हों आजाद।१।



लगे न बीते साल  सा, तन मन कोई घाव

राजनीति ना भर सके, जन में नया दुराव।२।



धन की बरकत ले धनी, निर्धन हो धनवान

शक्तिहीन अन्याय  हो, न्याय बने बलवान।३।



घर आँगन सबके खिलें, प्रीत प्यार के फूल

और जले नव वर्ष मेें, हर नफरत का शूल।४।



मदिरा में ना डूब कर, भजन करें भर रात

नये साल  की  दोस्तों, ऐसे  हो  शुरुआत।५।



स्नेह संयम विश्वास का,…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 31, 2019 at 6:12am — 16 Comments

खिले फूलों के रंगों ने - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'( गजल )

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२



समय ने हद से बढ़ के जब नयी मजबूरियाँ दी हैं

उन्हीं मजबूरियों ने  ही  तनिक  चालाकियाँ दी हैं।१।



सफर में  राह  ने  काँटे  उगाये  पाँव  बेबस कर

मगर इक  हौसले  ने  ही  कई  बैशाखियाँ दी हैं।२।



बढ़ाया हाथ भी ठिठका कहा भौंरे ने जब इतना

खिले फूलों के रंगों ने चमन को तितलियाँ दी हैं।३।



भुला बैठे हैं सब  शायद  यही …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 17, 2019 at 8:29pm — 8 Comments

कठिन बस वासना से पार पाना है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'( गजल )

१२२२/१२२२/१२२२



अमरता देवताओं  का  खजाना है

मनुज तूने कभी उसको न पाना है।१।



यहाँ मुँह तो  बहुत  पर  एक दाना है

लिखा जिसके उसी के हाथ आना है।२।



सरल है चाँद तारों को विजित करना

कठिन बस  वासना  से  पार पाना है।३।



रही है धर्म  की  ऊँची  ध्वजा  सब से

उसी पर अब सियासत का निशाना है।४।



व्यवस्था जन्म से लँगड़ी बुढ़ापे तक

उसी के दम यहाँ पर न्याय काना है।५।



जला पुतला  निभा  दस्तूर देते हैं

भला लंकेश को…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 7, 2019 at 10:59am — 4 Comments

सदमे में है बेटियाँ चुप बैठे हैं बाप - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

आदम युग से आज तक, नर बदला क्या खास

बुझी  वासना  की  नहीं, जीवन  पीकर  प्यास।१।



जिसको होना राम था, कीचक बन तैयार

पन्जों से उसके भला, बचे कहाँ तक नार।२।



तन से बढ़कर हो गयी, इस युग मन की भूख

हुए  सभ्य  जन  भेड़िए, बिसरा  सभी  रसूख।३।



तन पर मन की भूख जब, होकर चले सवार

करती है वो  नार  की, नित्य  लाज  पर वार।४।



बेटी गुमसुम सोच ये, कैसा सभ्य विकास

हरमों से बाहर निकल, रेप आ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 4, 2019 at 8:30pm — 5 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"नीलेश भैया शानदार ग़ज़ल कही है बहुत बहुत मुबारकबाद कुबूल करें।"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आद.लक्ष्मण भैया बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है बाकी समर भाई जी ने इंगित कर ही दिया।सभी शेर बढ़िया कहे।"
20 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अनिल जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है मुबारकबाद आपको।"
23 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आद.अजय जीआपका तहे दिल से शुक्रियः।"
25 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय समर भाई जीआपका तहे दिल से शुक्रियः।"
26 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"अजय जीआपका तहे दिल से शुक्रियः।"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"अमित जी आपका तहे दिल से शुक्रियः।"
27 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"जनाब अजय गुप्ता 'अजेय' जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, बधाई स्वीकार करें…"
27 minutes ago
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"बहना राजेश कुमारी जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।"
40 minutes ago
Anil Kumar Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय नीलेश जी आभार "
1 hour ago
Anil Kumar Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी ग़ज़ल पसंद करने का बेहद शुक्रिया . दरअसल नीरज जी की इन  पंक्तियों से…"
1 hour ago
Anil Kumar Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"आदरणीय उस्ताद समर कबीर साहब,  हौसला अफ़जाई का तह ए दिल से शुक्रिया "
1 hour ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service