For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – July 2022 Archive (9)

दुख से उबर के ओढ़ेगी मुस्कान जिन्दगी -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

बोलो न आप हो गयी  शमशान जिन्दगी

दुख से उबर के ओढ़ेगी मुस्कान जिन्दगी।१।

*

करते हो मुझ से प्रश्न तो उत्तर यही मेरा

होती है यार मौत  का  अवसान जिन्दगी।२।

*

कहते हैं सन्त मीन सी दानों को देखकर

माया के जाल फसती है नादान जिन्दगी।३।

*

आचल में मौत सासों  को लेते न चूकती

भटकी कहीं जो भूल से यूँ ध्यान जिन्दगी।४।

*

जैसे  विचार  वैसी  ही  जग  में  बनाती  है

सच है सभी की आज भी पहचान जिन्दगी।५।

*

करता रहा है प्यार…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2022 at 2:50pm — No Comments

लगाओ लगाओ सदा कर लगाओ -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२

****

लगाओ लगाओ सदा कर लगाओ

बहुत तुच्छ है ये बड़ा कर लगाओ।।

*

अभी रोटियों को अठन्नी बची है

रहे जेब खाली नया कर लगाओ।।

*

कभी रक्त  बहता  दिखे  घाव पर से

दवा छोड़ उस पर कटा कर लगाओ।।

*

गया बचपना तो उसे छोड़ना मत

युवापन बुढ़ापा ढला कर लगाओ।।

*

घटा धूप  बारिश  तजो  चाँदनी मत

मिले मुफ्त क्यों ये हवा कर लगाओ।।

*

जो पीते पिलाते  उन्हें मुफ्त बाँटो

न पीते हुओं पर नशा कर लगाओ।।

*

विलासी  लगा  है  उदासी  नहीं…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 20, 2022 at 7:28am — 4 Comments

करो जुर्म जमकर ये अन्धेर नगरी-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२


समझ मत उसे यूँ बुरा और होगा
तपेगा  दुखों  में  खरा और होगा।।
*
उजाला कभी जन्म लेगा वहाँ भी
अँधेरा कहाँ तक भला और होगा।।
*
रवैय्या है बदला यहाँ चाँद ने अब
रहेगा  कहीं  पर  पता  और होगा।।
*
लहू में है उस  के  वही साहूकारी
कहा और होगा लिखा और होगा।।
*
करो जुर्म जमकर ये अन्धेर नगरी
सजा को तुम्हारी गला और होगा।।
**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 18, 2022 at 6:40am — 6 Comments

शब्द - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

दोहे

****

मुख सा सम्मुख और के, रखिए शब्द सँवार

सुन्दर  शब्दों  के  बिना, कहते  लोग  गँवार।१।

*

युद्ध शब्द  से  जन्मते, और  शब्द से शान्ति

महिमा अद्भुत शब्द की, जिससे होती क्रांति।२।

*

कोई शब्दों में भरे, अद्भुत सहज मिठास I

कोई रीता रख उन्हें, देता अनबुझ प्यास।३।

*

कोई सज्जन कह  गया, बात  बड़ी गम्भीर।

जीवन घायल मत करो, शब्दों को कर तीर।४।

*

कोई छाया दे  सदा, कर शब्दों को पेड़।

कोई शब्दों से यहाँ , बखिया देत…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 6, 2022 at 5:30am — No Comments

कालिख दिलों के साथ में ठूँसी दिमाग में - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

पथ में कोई सँभालने वाला नहीं हुआ

ये पाँव जानते थे जो छाला नहीं हुआ।।

*

कैसा तमस ये साँझ ने आगोश में भरा

इतने जले चराग उजाला नहीं हुआ।।

*

कालिख दिलों के साथ में ठूँसी दिमाग में

ऐसे ही मुख ये आप का काला नहीं हुआ।।

*

नेता ने क्या क्या पेट में ठूँसा है देश का

बस आदमी ही उसका निवाला नहीं हुआ।।

*

कोशिश बहुत की वैसे तो बँटवारे बाद भी

यह घर किसी भी राह शिवाला नहीं हुआ।।

*

मौलिक/अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 5, 2022 at 2:19pm — 3 Comments

भोर सुख की निर्धनों ने पर कहीं देखी नहीं -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर'

२१२२/२१२२/२१२२/२१२

*

जब कोई दीवानगी  ही  आप ने पाली नहीं

जान लो ये जिन्दगी भी जिन्दगी सोची नहीं।।

*

पात टूटे  दूब  सूखी   ठूठ  जैसे  हैं  विटप

शेष धरती का कहीं भी रंग अब धानी नहीं।।

*

भर रहे हैं सब हवा में आग जब देखो सनम

फूल होगा याद  में  बस  गन्ध  तो होगी नहीं।।

*

तैरती है प्यास आँखों में सभी के रक्त की

हो गये हैं  लोग  दानव  पी  रहे पानी नहीं।।

*

राजशाही  साम्यवादी  लोकशाही  दौर  सब

भोर सुख की निर्धनों ने पर कहीं देखी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 4, 2022 at 7:22pm — 2 Comments

होना जहाँ को आज भी साकेत चाहिए-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

पानी  नहीं  नदी  से  जिन्हें  रेत चाहिए

रचने को सेज अन्न का हर खेत चाहिए।२।

*

औषध नहीं पहाड़ से पत्थर खदान कर

कंक्रीट के नगर  को  वो समवेत चाहिए।२।

*

दो पल के सुख दे छीनले पूरी सदी को जो

सब को विकास  नाम  का  वो प्रेत चाहिए।३।

*

छाया से पेड़ की नहीं लकड़ी से प्यार है

कुर्सी को जंगलों  की  सभी बेत चाहिए।४।

*

धरती को नोच चाँद को रौंदा उन्हें यहाँ

रीती  नदी  में  नीर  का  संकेत चाहिए।५।

*

वैभव नगर का साथ में…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2022 at 6:40am — No Comments

कहतें हैं वोट शक्ति का पर्याय है अगर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२

*

अब  झूठ  राजनीति  में  दस्तूर  हो गया

जिस का हुआ विरोध वो मशहूर हो गया।१।

*

जनता के हक में बोलते जो काम बोझ है

नेता के हक में  काम  वो  मन्जूर हो गया।२।

*

कहते हो वोट  शक्ति  का पर्याय है अगर

क्यों लोक आज देश का मजबूर हो गया।३।

*

जो चाहे मोल दे  के  करा लेता काम है

कानून  जैसे  देश का  मजदूर  हो गया।४।

*

जनता न राजनीति की मन्जिल बनी कभी

उपयोग उस  का  राह  सा  भरपूर हो गया।५।

*

होता भला न…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 2, 2022 at 3:30am — 2 Comments

कभी तो पढ़ेगा वो संसार घर हैं - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२२

*

सियासत को आता है तलवार पढ़ना

उसे भी सिखाओ तनिक प्यार पढ़ना।।

*

किसी दिन सभी कुछ यहाँ फूक देगा

सिखाओ न अब तुम ये अंगार पढ़ना।।

*

वही झूठ हर  दिन  वही  दुख भरा है

सुखद कब लगेगा ये अखबार पढ़ना।।

*

शिखर खोजते है बहुत लोग लेकिन

किसी को न भाता है  आधार पढ़ना।।

*

कभी  तो  पढ़ेगा  वो  संसार  घर हैं

जिसे आ गया घर को संसार पढ़ना।।

*

जमाने को अच्छा अगर कर न पाये

समझ लो हुआ सबका बेकार…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 1, 2022 at 2:53am — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव ............ सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"वाह ...................... बढ़िया सुझाव ..................... सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बढ़िया सुझाव .... सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव  धन्यवाद अमित जी "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय नादिर खान जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति ...... हार्दिक बधाई ..... सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय तिलक राज कपूर सर, आज आपकी ग़ज़ल का लुत्फ़ ले रहा हूँ. विस्तृत चर्चा कल ...... सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीया ऋचा यादव जी, इस शानदार प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय जैफ जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. वरिष्ठ जनों के  सुझाओं पर ध्यानकर्षण निवेदित…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय दयाराम जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार ... सादर "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service