For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – July 2014 Archive (5)

न जाने कौन सी दुनिया बसाकर आज हम बैठे -ग़ज़ल

1222    1222    1222    1222

**********************************

दुखों से दोस्ती रख कर सुखों के घर बचाने हैं

मुझे  अपनी  खुशी  के रास्ते खुद ही बनाने हैं

**

परिंदों  को पता  तो है  मगर मजबूर हैं वो भी

नजर तूफान की कातिल  नजर में आशियाने हैं

**

पलों की कर खताएँ कुछ मिटाना मत जमाने तू

किसी का  प्यार पाने  में  यहाँ लगते जमाने हैं

**

न जाने कौन सी दुनिया बसाकर आज हम बैठे

गलत मन के इरादे हैं  गलत तन के निशाने…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 27, 2014 at 9:43am — 10 Comments

कौन छोड़ा इस हवस के आदमी ने - गजल ( लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर ’ )



2122    2122    2122

**************************

घाट सौ-सौ  हैं  दिखाए  तिश्नगी  ने

कौन छोड़ा  इस  हवस के आदमी ने

**

करके  वादा   रोशनी  का हमसे यारो

रोज  लूटा  है   हमें   तो   चाँदनी ने

**

राह बिकते मुल्क  के सब रहनुमा अब

क्या किया ये  खादियों  की  सादगी ने

**

रात जैसे  इक  समंदर  तम  भरा  हो

पार जिसको नित  किया आवारगी ने

**

झूठ को जीवन दिया है इसतरह कुछ

यार  मेरे  सत्य को  अपना  ठगी ने

**

पास आना था हमें  यूँ भी…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 21, 2014 at 7:46pm — 10 Comments

कोसते रावण को हर दिन - ग़ज़ल

2122    2122    2122    2122

********************************

चल  पड़ी नूतन  हवा  जब से शहर की ओर यारो

गाँव के  आँगन उदासी,  भर  रही  हर  भोर यारो

**

अब  बुढ़ापा द्वार  पर  हर  घर  के बैठा है अकेला

खो  गया  है  आँगनों से   बचपनों  का  शोर यारो

**

ढूँढते तो हैं  शिरा  हम, गाँव  जाती  राह का नित

पर  यहाँ  जंजाल  ऐसा  मिल  न पाता छोर यारो

**

हो गये कमजोर रिश्ते, अब दिलों के धन की खातिर

मंद   झोंके   भी   चलें  तो   टूटती   हर   डोर …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 15, 2014 at 11:08am — 11 Comments

किस्मतें कब हैं जगी -गजल

** 2122 2122 2122 212

*******************************

दोष थोड़ा सा समय का कुछ मेरी आवारगी

सीधे-सीधे चल न पायी इसलिए भी जिंदगी

**

हम  तुम्हें  कैसे कहें  अब  दूरियों  को  पाट लो

कम न कर पाये जो खुद हम आपसी नाराजगी

**

कल हवा को भी  इजाजत  दी न थी यूँ आपने

आज  क्यों  भाने  लगी   है  गैर की मौजूदगी

**

रात-दिन  करने  पड़ेंगे यूँ जतन कुछ तो हमें

कहने भर से दोस्तों  ये किस्मतें कब हैं…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2014 at 11:30am — 22 Comments

आज रिश्ते क्यों सभी को - ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

**********************

सावनों   में   फिर   हमारे   घाव   ताजा   हो  गये

रंक  सुख  से  हम  जनम के, दुख के राजा हो गये

**

साथ  माँ  थी  तो   दुखों में भी सुखों की थी झलक

माँ  गयी  है   छोड़   जब  से  सुख जनाजा हो गये

**

कल तलक जिनकी गली भी कर रही नासाज थी

आज क्यों कर वो तुम्हारे दिल के ख्वाजा हो गये                  ( ख्वाजा - स्वामी )

**

कोइ   चाहे    देह     हरना   और   कोई   दौलतें

आज …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 3, 2014 at 11:00am — 8 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 146

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !! ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियालिसवाँ आयोजन है.…See More
22 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-152

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Dr. Ashok Goyal's blog post ग़ज़ल :-
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
AMAN SINHA posted a blog post

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? क्यों है तू फंसा…See More
Saturday
Nisha updated their profile
Friday
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
Thursday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Thursday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service