For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan"'s Blog – August 2016 Archive (6)

बाज आता नहीं सिखाने से-ग़ज़ल

2122 1212 22



जाके कह दीजिए ज़माने से

वक़्त छीने कमाने खाने से



यूँ समस्याएं खत्म क्या होंगी

सिर्फ़ इल्ज़ाम भर लगाने से



काम सरकार ग़र नहीं करती

किसने रोका है कर दिखाने से



बैठ टेली विज़न के आगे यूँ

दिन बहुर जाएगा न गाने से



खुद को बदले बिना न रुक सकता

पाप बस शोर यूँ मचाने से



मुद्दे ऐसे तो हल नहीं होंगे

राग-ढपली अलग बजाने से



देश खुद ही प्रगति के पथ होगा

भार हर एक के उठाने से



मानता ही… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 28, 2016 at 11:16am — 13 Comments

सच से कम कुछ कहा नहीं जाता- ग़ज़ल

2122 1212 22



गुमशुदा यूँ रहा नहीं जाता

घुट के हमसे मरा नहीं जाता



रौशनी की बहुत ज़रूरत है

इसलिए ही बुझा नहीं जाता



आँख मन से जुड़ी है सीधे ही

सोचने से बचा नहीं जाता



लेखनी ताक़ पर मैं रख देता

दिल बिना तो जिया नहीं जाता



हाँ; जी पढ़ता नहीं कोई पुस्तक

कर्ज़ लेकर लिखा नहीं जाता



है तो दुनिया बड़ा सरोवर पर

नीर के बिन खिला नहीं जाता



दुश्मनी पालिये भले साहिब

सच से कम कुछ कहा नहीं जाता



राह… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2016 at 9:00pm — 7 Comments

बिलखते हैं बच्चे , सिसकती हैं माएँ मनाएं भला जश्न कैसे बता दो------------ग़ज़ल

122 122 122 122 122 122 122 122

अभी जाने कितने घरों में न चूल्हा

न जाने ही कितनों के घर, ये तो जानो।

बहुत कीमती फोन हाथों में लेकर

वो नेता बताता दिखा मीडिया को।।1।।



सफेदी थी झक्कास गाड़ी गज़ब की

सफ़ारी थी शायद औ मॉडल नया था।

गरीबी पे व्याख्यान देकरके जिसमें

मसीहा गरीबों का चढ़कर गया, वो।।2।।



परिस्थिति पे घड़ियाली आँसू बहाकर

तसल्ली बहुत दे गया था जो नेता।

मदद को बुलाया था आवास पर ही

मिटाये कहाँ दाग मन पर दिया ,… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 17, 2016 at 3:30pm — 4 Comments

मन्त्र जन्मेजयी पे ये भी अधर डोले हैं-gazal

2122 1222 1212 22



शख्स हर वक्त जो नफ़रत का ज़हर घोले हैं।

खुद को शाइर भला वो जाने कैसे बोले हैं।।



क़ौम की एकता के नाम पर जो भड़काते।

ऐसे बहुरूपिये गिरगिट से बदले चोले हैं।।



मज़हबी आचरण जो सबका जाँचते अक्सर।

पूछिये क्या कभी वो लोग खुद को तोले हैं?



तालियाँ घर के ही लोगों ने जो बजा दी तो।

अपनी औकात से वो ज़्यादा ज़ुबाँ खोले हैं।।



झंडाबरदार-ए-ईमान जो बने खुद से।

वो तो साहित्य की गर्दन पड़े सपोले हैं।।



भक्त पंकज…

Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 7, 2016 at 7:30pm — 4 Comments

सिर्फ विभीषण बनता है- ग़ज़ल

22 22 22 22 22 22 22 2



अधरों पर झूठी मुस्कान, जिसमें भरी कुटिलता है।

सच तो ये है हे भैय्या जी, खद्दर उसी पे जँचता है।।



जाग रहे लोगों से भारत वासी का कब हृदय मिला।

जो संसद में ही सोता हो, वो ही असली नेता है।।



विष का घूँट तुम्हारी ख़ातिर, जो पी ले वो पागल है।

बीच सदन पव्वा ले बैठे, मान उसी का होता है।।



युग बदला परिभाषा बदली, गद्दारी क्या होती है?

भारत का आदर्श आज कल, सिर्फ विभीषण बनता है।।



साक्षरता के दर के आंकड़े, पर मत जाओ… Continue

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 6, 2016 at 10:03pm — 4 Comments

लजाते क्यूँ हो?

2122 2122 22

अपने बच्चों को आज़माते क्यूँ हो?
निर्धनों को यूँ सताते क्यूँ हो?

वो तो वैसे ही है अभिशापित; फिर।
ख़्वाब मुफ़लिस को दिखाते क्यूँ हो?

जो कि रिश्ते में #भसुर# है धन का।
उसको महफ़िल में बुलाते क्यूँ हो?

जिसकी कुटिया में नहीं दरवाज़े।
बाप बेटी का बनाते क्यूँ हो?

मैं ख़फ़ा हूँ तेरी मनमानी से।
सामने आओ लजाते क्यूँ हो?

मौलिक अप्रकाशित

Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 2, 2016 at 6:12pm — 4 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
4 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
5 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
8 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service