For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हृदय अपना जिसनें समंदर किया है-----ग़ज़ल

122 122 122 122

युगों तक जगत में वही जी सका है
हृदय अपना जिसने समंदर किया है

हक़ीक़त से नज़रें हटाने से यारो
कभी झूठ भी क्या कहीं सच हुआ है?

कहाँ रात के मानकों से हो चिपके
उजाले का वाहक तो सूरज रहा है

गरल एकता के लिए पीना होगा
सिखाती सभी को परम शिव कथा है

'सुनो आइनो तुम भी पढ़ लो सुकूँ से
कि 'पंकज' ने सब सामने रख दिया है'  (आदरणीय बाऊजी समर कबीर द्वारा संशोधित)

मौलिक अप्रकाशित

Views: 760

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 23, 2018 at 5:15pm

आदरणीय तेजवीर सर सादर आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 23, 2018 at 5:14pm

आदरणीय नीलम जी बहुत बहुत आभार

Comment by TEJ VEER SINGH on April 23, 2018 at 2:30pm

हार्दिक बधाई आदरणीय पंकज कुमार जी।बेहतरीन गज़ल।

युगों तक जगत में वही जी सका है
हृदय अपना जिसने समंदर किया है

हक़ीक़त से नज़रें हटाने से यारो
कभी झूठ भी क्या कहीं सच हुआ है?

Comment by Neelam Upadhyaya on April 23, 2018 at 11:02am

आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी ।  बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल  की प्रस्तुति ।  हार्दिक बधाई

Comment by Samar kabeer on April 22, 2018 at 6:42pm

ख़ुश रहो, अज़ीज़म ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 22, 2018 at 6:34pm

आदरणीय बाऊजी सादर आभार, मेरी समस्या हल हुई। आभार बार बार

Comment by Samar kabeer on April 22, 2018 at 6:31pm

'सुनो आइनो तुम भी पढ़ लो सुकूँ से

कि 'पंकज' ने सब सामने रख दिया है'

'रूह' शब्द स्त्रीलिंग है, इसलिये इसे लेना मुमकिन नहीं है  

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 22, 2018 at 4:48pm

आदरणीय बाऊजी सादर प्रणाम, सुझावों के अनुरूप सुधार कर देता हूँ। अंतिम शेर के लिए समझ नहीं पा रहा, क्या करूँ?

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 22, 2018 at 4:45pm

आदरणीय हर्ष महाजन सर सादर आभार

Comment by Samar kabeer on April 22, 2018 at 9:44am

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

अंतिम मिसरे के लिए निलेश जी लिख चुके हैं ।

मतले के सानी में ',जिसनें' को 'जिसने',दूसरे शैर में 'हटानें' को 'हटाने' और 'यारों' को "यारो" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service