For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जानें क्या बात है आज कल, दर्द अपना छिपाने लगा---ग़ज़ल

212 212 212 212 212 212

जानें क्या बात है आज कल, दर्द अपना छिपाने लगा
हाल उसका पता कीजिए, वो बहुत मुस्कुराने लगा

हम उसे बस यूँ ही चारागर, झूठे ही तो नहीं लिख दिए
एक बेजान से बुत में भी, वो जो धड़कन चलाने लगा

उसको पागल नहीं जो कहें, तो भला नाम क्या और दें
एक निर्जन नगर में कोई, स्वप्न के घर बसाने लगा

शुक्रिया आपका शुक्रिया है ये तोहफा बहुत कीमती
देखिए तो विरह का असर शेर मैं गुनगुनाने लगा

उम्र भर की ख़लिश के सिवा कुछ भी नफ़रत से मिलना नहीं
मन से कूड़ा हटा दीजिए, सबको पंकज सिखाने लगा

मौलिक-अप्रकाशित

Views: 844

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 21, 2018 at 3:08pm

आदरणीय नीलेश सर आज इसे अभी सुधारने जा रहा हूँ। तब तक एक नई ग़ज़ल पर नज़रे इनायत करें

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 21, 2018 at 3:07pm

आदरणीय बाऊजी आपने सही कहा, मैं लगातार ढूंढ रहा था, लेकिन शुतरगुरबा का दोष नहीं मिला, वही यहां कहने आया, आपका आशीर्वाद तब तक आ चुका था। 

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 21, 2018 at 3:05pm

आदरणीय हर्ष जी सादर आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 21, 2018 at 3:05pm

आदरणीय नीलम जी सादर आभार

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 21, 2018 at 2:17pm

ओह मैं तक़ाबुले रदीफ़ को शुतुरगुरबा लिख गया

Comment by Samar kabeer on April 21, 2018 at 10:28am

अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

शेष गुणीजन कह चुके हैं,अंतिम दोनों अशआर में शुतरगुर्बा नहीं है,बल्कि तक़ाबुल-ए-रदीफ़ की सूरत बन गई है ।

Comment by Harash Mahajan on April 20, 2018 at 6:32pm

आदरणीय पंकज जी

इस सुंदर प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई ।

सादर ।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 20, 2018 at 2:48pm

आदरणीय पंकज कुमार मिश्रा जी, बहुत ही खूबसूरत गज़ल के लिए मुबारकबाद।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 20, 2018 at 2:28pm

आदरणीय नीलेश सर, आपका सुझाव उचित है, जल्दी ही बदलता हूँ

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 20, 2018 at 2:28pm

डॉ आशुतोष सर, बहुत बहुत आभार, लास्ट में एक 2 लिखते समय बढ़ गया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service