For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन्त्र जन्मेजयी पे ये भी अधर डोले हैं-gazal

2122 1222 1212 22


शख्स हर वक्त जो नफ़रत का ज़हर घोले हैं।
खुद को शाइर भला वो जाने कैसे बोले हैं।।


क़ौम की एकता के नाम पर जो भड़काते।
ऐसे बहुरूपिये गिरगिट से बदले चोले हैं।।


मज़हबी आचरण जो सबका जाँचते अक्सर।
पूछिये क्या कभी वो लोग खुद को तोले हैं?


तालियाँ घर के ही लोगों ने जो बजा दी तो।
अपनी औकात से वो ज़्यादा ज़ुबाँ खोले हैं।।


झंडाबरदार-ए-ईमान जो बने खुद से।
वो तो साहित्य की गर्दन पड़े सपोले हैं।।


भक्त पंकज भी तो है नाग यज्ञ का पोषक।
मन्त्र जन्मेजयी पे ये भी अधर डोले हैं।।

मौलिक अप्रकाशित

Views: 468

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 17, 2016 at 3:58pm
आदरणीय गिरिराज सर सादर आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2016 at 10:20pm

आदरनीय पंकज भाई , ग़ज़ल अच्छी हुई है , हार्दिक बधाई । आ. रवि भाई की बातों का खयाल कीजियेगा । बहर मान्य है या नही मै नही कह सकता , शायद मान्य बहर हो ही ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 9, 2016 at 1:35pm
आदरणीय रवि सर मत्ले में "लब से" नहीं है।। गलती से टाइप हो गया है।
Comment by Ravi Shukla on August 9, 2016 at 11:18am

आदरणीय पंकज जी आपक का गजल का ये प्रयोग समझ पर थोडा जोर डालने वाला लगा  इस के लिये आपको बधाई 

मतले के उला में अाापकी दी गई बहर हमें नहीं मिल पाई कुछ टंकण त्रुटि हो रही है शायद

झंडाबरदार  ए ईमान की इजाफत से इसकीी मात्रा गणना मेंं हमें कुछ संशय है गणी जन कृपया मार्ग दर्शन दें 

मकते के सानी में भी हमें बहर नहीं मिल पा रही 

शायद इस गजल को साझा करने में कुछ शीघ्रता हुई हैै । सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
5 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service