For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

All Blog Posts (19,134)

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

देख के मचले ये दिवाने ,
जैसे होती सुबह की बेला ,
चिडियों का कोलाहल सुन के ,
उठ के प्रथम बैलो को ,
लगते हैं ये तो खिलने ,
हरे भरे हैं खेत सुहाने ,
देख के मचले ये दीवाने  ,
सुबह सुबह ले बैलो को ,
कंधे पे ये हल संभाले ,
दिन भर मेहनत करने वाले ,
शाम को लौटे थके हरे ,
सकून देती हरियाली ने…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 12:00pm — 12 Comments

ममतामयी माँ



माँ
शब्दों में न बांधी 
जा सकने वाली परिभाषा,
कोटिश: दुखों में छिपी 
सुखों की एक अभिलाषा....
तुम्हारा आँचल 
अनंत गगन को भी, 
छोटा कर देता
तुम्हारा प्यार 
समुद्र से विशाल दुखों 
को भी कम कर देता....
कहा से समाया है ,
तुममे इतना…
Continue

Added by Yogyata Mishra on July 4, 2011 at 11:14am — 2 Comments

श्रेय लेने का शुरूर

अक्सर देखा जाता है कि जब कोई उल्लेखनीय कार्य होता है तो उसका श्रेय लेने की होड़ मच जाती है और स्थिति मारामारी की बन जाती है। श्रेयमिजाजी लोग खास मिसाल पेश कर लेते हैं, तब वह इतिहास में अपना नाम दर्ज कराने भी उतारू हो जाता है। भले ही वह किसी भी रूप में हों ? आज जहां देखें वहां, केवल श्रेय लेने की होड़ दिखती है। ऐसा लगता है, जैसे गली-गली में ‘श्रेय की दुकान’ खुल गई है और वहां से जो जब चाहे, तब ‘श्रेय’ खरीदकर ले लाए। जैसे, बाजार से हम सेब खरीद कर ले आते हैं। फिर अपना एकाधिकार जमाने में उसे कहां देर… Continue

Added by rajkumar sahu on July 4, 2011 at 12:28am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

समारू - चवन्नी का अस्तित्व खत्म हो गया है।

पहारू - मगर, चवन्नी छाप लोगों की संख्या तो बढ़ रही है।





2. समारू - ऐश्वर्या राय की जल्द ही मां बनने की खबर है।

पहारू - लगता है, ‘मीडिया’ को ‘ऐश्वर्या’ से अधिक जल्दी है।





3. समारू - छग के पीएमटी परीक्षा फर्जीवाड़े में ओहदेदारों की संलिप्तता की चर्चा है।

पहारू - बड़े लोग हैं, बड़े कारनामे करने में कैसे गुरेज करेंगे।





4. समारू - छग में डीएड का पेपर लीक हो गया।

पहारू - यहां की परीक्षा… Continue

Added by rajkumar sahu on July 3, 2011 at 11:14pm — 1 Comment

narmadashtak : aadi shankaracharya - sanjiv 'salil'



Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on July 3, 2011 at 8:30pm — No Comments

क्या तुम आज स्कूल आओगे?

अब ये नही होगा.......... कल मुझसे मेरे छोटे भाई ने कहा की दीदी अब तुझसे ये कोई नही कभी कहेगा की आज स्कूल क्यो नही आई या क्या तुम आज स्कूल आओगी? बात बिल्कुल साधारण सी थी पर मे सारा दिन सोचती रही की ये बात कितनी सच हे . बचपन के साथ साथ ये सारे पल भी तो बीत गये जब सारी सहेलिया साथ स्कूल जाती और हर दिन एक दूसरे से पूछती थी की क्या कल स्कूल आओगी?

 

हमारी वो दुनिया ही…

Continue

Added by monika on July 3, 2011 at 2:39am — 2 Comments

पीछे देखोगे साथ में भीड़ जुट जाएगी.

है अगर चाहत तुम्हारी सेवा परोपकार की,

तो जिंदगी समझो तुम्हारी पुरसुकूं पायेगी.

दुनिया में किसी को मिले न मिले

दुनिआवी झंझटों से मुक्ति मिल जाएगी.



हैं फंसे आकर अनेकों इस नरक के जाल में,

मुक्ति चाह जब उनकी आत्मा तरपाएगी .

तब उन्हें देख तुमको हँसते मुस्कुराते हुए

जिंदगी जीने की नयी राह एक मिल जाएगी.



मोह अज्ञानवश फिर रहे भटक रहे,

मौत के आगोश में गर जिंदगी जाएगी.

अंत समय ज्ञान पाने की ललक को देखना

इच्छा अधूरी है ये मन में दबी रह… Continue

Added by shalini kaushik on July 2, 2011 at 12:43am — 2 Comments

कलम तलवार नहीं है

हर जगह आग है, शोला है, कही प्यार नहीं है

सकून दे सके आपको,ऐसी कोई वयार नहीं है //



कितना संभल कर चलेंगे आप,अब गुल में

हर पेड़ अब खार है,कोई कचनार नहीं है //





हंसी मिलती है,अब सिर्फ तिजारत की बातों में

रिश्तों का महल बनाने, अब कोई तैयार नहीं है //



अश्क पोछना होगा अब आपको,अपने ही रुमाल से

पोछ दे आपका अश्क,अब ऐसा कोई फनकार नहीं है //



माँ ! लिखना भूल गई है अब मेरी कलम

शायद ,बेटे को अब माँ की दरकार नहीं है //



जी भर लूटो ,खाओ , इस… Continue

Added by baban pandey on July 1, 2011 at 11:59am — No Comments

आईना मेरा ..

  यू तो हम आईने पे मरते थे,

फिर भी हम आईने से डरते थे   

रोज़ किस्से हज़ारो बातें भी…
Continue

Added by Lata R.Ojha on July 1, 2011 at 12:30am — 8 Comments

माँ





तुझे बाहों मे भर लेने का,

तेरे कंधे रख के सर रोने का,

तुझसे मॅन का दर्द कह देने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

तेरी उंगली पकड़ फिर चलने का,

तेरे साए मे बैठे रहने का,

तेरी लॉरी सुन कर सोने का,

माँ बड़ा दिल करता है!

 

दूर है तू मुझसे,या छुपी हुई है मुझमे ही,

ढूंडती हून तुझको हर कही,

तेरे आँचल मे छुप जाने का,

माँ बड़ा दिल करता…

Continue

Added by Vasudha Nigam on June 30, 2011 at 1:40pm — No Comments

“संग मेरी माँ हैं....”

 



क्या कहूँ की वो क्या हैं? 

 

माँ तो बस होती माँ हैं,

 

खिलाकर बच्चें को खाना ख़ुद खाती हैं, 

 

देख कर हमें सोता हुआ कहीं वो सो पाती हैं. 

 

याद हैं आज भी आपका मुझे लोरी सुनाना, 

 

बचाने को बुरी नज़र से बार-बार काला टीका लगाना. 

 

सच में कितनी सीधी और सच्ची होती हैं…

Continue

Added by Jaimangal Singh,Ek Aur Shayar on June 30, 2011 at 12:57pm — No Comments

कल रहे या ना रहे

क्या भरोसा जिन्दगी का कल रहे या ना रहे।

क्या पता यह बुलबुला कुछ पल रहे या ना रहे।।

 

है भयंकर इक समन्दर ये जहाँ उठ्ठे तूफां,

तैरती कागज की कश्ती तेज मौजों में यहाँ।

है किसे मालूम कब ये गल रहे या ना रहे।।

 

पूरी हो पायेंगी शायद ही खुशी ओ ख्वाहिशें,

मिट्टी के इस ढेले पे होतीं गमों की बारिशें।

क्या पता पानी में कब ये घुल रहे या ना रहे ।।

 

हो गई मुश्किल न कम है जिन्दगी अब बोझ से,

मौत रूपी माशूका की गोद में सब…

Continue

Added by आचार्य संदीप कुमार त्यागी on June 30, 2011 at 8:00am — No Comments

महंगाई व प्रधानमंत्री के वायदे

प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने मार्च 2012 तक महंगाई दर में 6 प्रतिशत की कमी होने का एक बार फिर दावा किया है। दरअसल, प्रधानमंत्री जी प्रिंट मीडिया के कुछ प्रमुख संपादकों से बुधवार को मुखातिब हुए। यहां उन्होंने भ्रष्टाचार, लोकपाल बिल समेत अन्ना हजारे, बाबा रामदेव के आंदोलन के संबंध में अपनी बात रखी। साथ ही खुद को कमजोर प्रधानमंत्री कहे जाने को एक सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि यह विपक्ष का दुष्प्रचार है, जबकि वे हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि देश में कैसे विकास दर को बढ़ाया जाए और देश की… Continue

Added by rajkumar sahu on June 30, 2011 at 12:57am — No Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - प्रधानमंत्री ने प्रिंट मीडिया के प्रमुख संपादकों से चर्चा की।

पहारू - दिखाना चाह रहे हैं कि मेरी उछल-कूद में कोई कमी है तो बताओ।





2. समारू - खटारा गाड़ी में शहीद के शव मामले में छग के मुख्यमंत्री की सफाई।

पहारू - जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जहमत कहां उठा सकते हैं।





3. समारू - आरबीआई ने चवन्नी के सिक्के को बंद कर दिया।

पहारू - अब कोई चवन्नी छाप नहीं होगा।





4. समारू - प्रधानमंत्री ने साल भर में पांचवीं बार महंगाई कम होने… Continue

Added by rajkumar sahu on June 29, 2011 at 11:17pm — No Comments

मेरा विश्वास

सच्ची प्रीति में पगी जो प्रार्थना की रीति ये तो

नेह नीति में विरह की गाँठ न लगाइए

जब भी प्रेम भाव से बुलाया जाय आपको तो

भक्तों के काज आप बनाने चले आइये

आप मूर्तिमान हैं निधान  हैं दया के…

Continue

Added by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on June 29, 2011 at 10:54pm — No Comments

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

बचपन खेलने को तरस गया ,
हाथो में किताब पड़ने से ,
जवानी कर्मो में गुजर गया ,
और आगे बढ़ने में ,
पूरा चला ढाई कोस , 
वही कहावत हो गई , …
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 7:00pm — No Comments

कैसे कहू मैं दिल की .....

कैसे कहू मैं दिल की ......

दिल में ही रह गई .
ख्वाब अधुरा रह गया ,
ख्वाबो पे छुरी चल गई  ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
बालपन की मन में ब्यथा ,
तन सयानी हो गई ,
लोगो की नजरो में आना ,
जवानी दुश्मन हो गई 
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
अपने होते ख्वाबें होती ,
मन की मुरादें मिल जाती ,
अपनों ने जो दगा किया…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 4:30pm — 15 Comments

जरा इधर भी करें नजरें इनायत

1. समारू - महंगाई ने आर्थिक बजट बिगाड़ दिया है।

पहारू - ‘आम आदमी के साथ हाथ‘ वाली सरकार पर और विश्वास करो।





2. समारू - बाबा रामदेव ने कहा है कि वे कायर नहीं है।

पहारू - सच है, नहीं भागते तो पुलिस का कोपभाजन बनना पड़ जाता।





3. समारू - छग कांग्रेस में नए जिलाध्यक्षों की घोषणा जल्द होने वाली है।

पहारू - फिर क्या है, कलह भी जल्द आने वाली है।







4. समारू - भाजपा के मध्यप्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा ने बढ़ती महंगाई को लेकर मौत मांगी… Continue

Added by rajkumar sahu on June 29, 2011 at 1:27pm — 1 Comment

बचपन

नन्हा सा, अल्हड़ सा, वो प्यारा बचपन,

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

बचपन के वो दिन कितने अच्छे थे

जब संग सबके हम खेला करते थे

दुखी होते थे एक खिलौने के टूटने पर

और छोटी सी ज़िद्द पूरी होने पर,खुश हो जाया करते थे

हँसता, खिलखिलता वो निराला बचपन

ज़िंदगी की धूप से अछूता बचपन

 

वो बारिश के मौसम का भीगना याद आता…

Continue

Added by Vasudha Nigam on June 29, 2011 at 10:00am — 15 Comments

-: हिंदी सलिला :- विमर्श १ भाषा, वर्ण या अक्षर, शब्द, ध्वनि, व्याकरण, स्वर, व्यंजन -संजीव वर्मा 'सलिल'-

 -: हिंदी सलिला :-

विमर्श १

भाषा, वर्ण या अक्षर, शब्द, ध्वनि, व्याकरण, स्वर, व्यंजन

-संजीव वर्मा 'सलिल'-

औचित्य…

Continue

Added by sanjiv verma 'salil' on June 28, 2011 at 11:29pm — No Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

1999

1970

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service