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गिरिराज भंडारी's Blog (306)

"अपने ख़्वाबों को खिलाऊँ क्या, पिलाऊँ क्या बताओ " - गज़ल - ( गिरिराज भंडारी )

2122    2122    2122     2122

 

गुम्बदों से क्यों कबूतर आज कल डरने लगे हैं

दूरियाँ रख कर चलेंगे फैसले करते लगे हैं

 

पतझड़ों की साजिशों से, अब बहारों में भी देखो

हर शज़र मुरझा गया, पत्ते सभी झड़ने लगे हैं

 

अपने ख़्वाबों को…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 7:30am — 41 Comments

अतुकांत -- " कुरेदिये नही " ( गिरिराज भंडारी )

समय के ,

सूर्य के ताप से

सूखता हुआ मल,

स्वयम ही,

स्वाभाविक रूप से ,

हो जायेगा

दुर्गन्ध हीन |

और फिर

वातावरण स्वयम…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 18, 2013 at 6:30am — 18 Comments

जब इबादत से न कोई रास्ता मुझको मिलेगा - गज़ल ( गिरिराज भंडारी )

2122     2122      2122     2122

 

ले   धनक  से  रंग  रंगोली   …

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Added by गिरिराज भंडारी on December 16, 2013 at 5:30pm — 28 Comments

राह मे दुश्वारियां थीं जब चले थे घर से हम ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122  2122   2122  212

सिलसिले उनके छिपे, कांटो से भी मिलते गये 

फिर भी ऐसा क्यों हुआ वो फूल सा खिलते गये

 

राह मे दुश्वारियां थीं जब चले थे घर से हम

बिन रुके चलते रहे तो रास्ते मिलते गये 

 …

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Added by गिरिराज भंडारी on December 12, 2013 at 9:30pm — 32 Comments

"सजावट" अतुकांत - (गिरिराज भंडारी)

मुश्किल काम होता है

चढ़ाये रखना ,

लगातार बहुत समय तक 

सजावट को ,

रह पाये कोई अगर तुम्हारे साथ

अधिक समय तक

लगातार, तो

फीकी पड़ने लगेंगी…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 11, 2013 at 5:00pm — 27 Comments

ज़िन्दगी तो रोज़ गम ही बाँटती है ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122     2122      2122

जब उजाला चाहते थे सब दिये से

क्यों अँधेरा बंट रहा है हाशिये से

 

था क्षणिक उन्माद मैं ये मान भी लूँ

मूँद लोगे आँखें क्या अपने किये से ?



बोझ से कोई गिरा,…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 9, 2013 at 4:30pm — 25 Comments

प्रेमधारा मेरी बाधित है अभी ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122      2122      2122      212

.

आपकी पिछली कही मन में प्रवाहित है अभी

इसलिये तो प्रेमधारा मेरी बाधित है अभी

 .

अब सदा बहती ही रहती है उपेक्षा आँखों से

मै कहाँ हूँ आपके मन में ये साबित है अभी

 .…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 6, 2013 at 2:30pm — 29 Comments

!!!! काले काले वर्षा वाले !!!! अतुकांत !!!!

सावन के बादल

काले काले ,

वर्षा वाले !

क्षुधित मानव की प्यास

बुझाने वाले…

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Added by गिरिराज भंडारी on December 4, 2013 at 7:00am — 25 Comments

!!!!!! दोहा वली !!!!! ( गिरिराज भंडारी )

- दोहावली -

संग हरि किये हरि हुये, दानव ,दानव संग

किंतु न मानव बन सके, कर मानव के संग    

 

कह सुन खाली मन करें, बचे न कोई बात ।

मन को उजला कीजिये, जैसे उजली रात ।।

 …

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Added by गिरिराज भंडारी on December 3, 2013 at 2:30pm — 23 Comments

गर्म हवा है खूब यहाँ की ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

गर्म हवा है खूब यहाँ की

************************

2 2  2 2  2 2   2 2

.

जो भी मुझसे सम्बंधित है

सुख पाने से वो वंचित है

 

मौन यहाँ है सबसे…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 30, 2013 at 5:00pm — 22 Comments

!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!! ( गिरिराज भंडारी )

!!!! टूटते विश्वास को !!!! नवगीत !!!!

किस तरह से

मै बचा लूँ

टूटते विश्वास को

 

लोग कहते,

भूल जाऊँ

आँख मून्दे ,

कान…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 27, 2013 at 11:30pm — 28 Comments

प्राण जिसमें है मरेगा ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122  2122 ( बिना रदीफ )

जो भरा है वो बहेगा   

रिक्तता है तो भरेगा

 

डर हमे काहे सताये

प्राण जिसमें है मरेगा

 

कानों सुनके आँखों देखे

चुप भला कैसे…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 25, 2013 at 7:00pm — 37 Comments

!! प्रयास , कृष्ण हो जाने का !! ( अतुकांत )

 

कालीदास

मौन शास्त्रार्थ में

खुले पंजे के जवाब में

मुक्का दिखाते हैं

विद्वान अर्थ लगाते हैं

उन्हें ख़ुद पता नहीं

वो शास्त्रार्थ जीत जाते हैं…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 22, 2013 at 1:00pm — 28 Comments

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222    1222      1222     1222   

धनक से रंग लाये हैं तुम्हें जी भर लगायें हम

***********************************

तमन्नाओं की कश्ती में तुझे ऐ दिल बिठायें हम

तेरी इन डूबती सांसों की उम्मीदें जगायें हम

 

बहुत ठोकर मिली…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 18, 2013 at 1:30pm — 42 Comments

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी -- ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

दुन्दुभी क्या? वो बाँसुरी होगी

*******************************

 2122    1212       22

 

काई ज़ज़्बात पर जमी होगी

दूरी ,क्या यूँ ही बन गयी होगी  ?

पूर्ण तो बस ख़ुदा ही होता है…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 12, 2013 at 6:00pm — 31 Comments

मुझे पागल बताया जा रहा है ( गज़ल ) गिरिराज भंडारी

2122      2122      2122       2122

 

ज़ख़्म सूखे हैं तो फिर क्यों दर्द फैला जा रहा है  

क्यों मुझे वो दिन पुराना याद आता जा रहा है

 

भीड़ मे रहना मुझे फिर बोझ सा लगने लगा क्यों   

और तनहा कोई कोना क्यों…

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Added by गिरिराज भंडारी on November 7, 2013 at 5:30pm — 34 Comments

बलाये आसमानी में ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

1222       1222        1222     1222

 

कभी फूलों मे कलियों में, कभी झरनों के पानी में

मुझे महसूस तू होता, हवाओं की रवानी में

कभी बेकस की आहों में ,निगाहे बेबसी में भी 

कभी खोजा किया तुझको, किसी गमगीं कहानी में

मुदावा मेरी…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 28, 2013 at 7:30am — 41 Comments

जो भी है आपका करम है सब ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

 2122       1212      22

ज़र्फ़ अंदर न पास है दिल में

आ गया हूँ ,अदब की महफ़िल में

वक़्त रद्दे अमल का आया तो 

तुम रहम खोजते  हो क़ातिल में

कुछ तड़प , दर्द और बेचैनी

और क्या खोजते हो…

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Added by गिरिराज भंडारी on October 24, 2013 at 7:00pm — 37 Comments

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