For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत -- " कुरेदिये नही " ( गिरिराज भंडारी )

समय के ,

सूर्य के ताप से

सूखता हुआ मल,

स्वयम ही,

स्वाभाविक रूप से ,

हो जायेगा

दुर्गन्ध हीन |

और फिर

वातावरण स्वयम ही

हो जायेगा ,

शुद्ध ,परिशुद्ध

निर्मल |

बस ,

आप कुरेदिये नही

बारम्बार

सूखते हुये मल को |  

शायद अहं, मल का भी हो

या अहं, मल ही होता हो ||

*******************

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 25, 2013 at 8:26pm

आदरणीय सौरभ भाई , मेरे प्रयास को आपका आशीर्वाद मिला इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है मेरे लिये । आपने सही कहा  अंत के दो लाइने नही जोडना था , पोस्ट करते करते बात सूझी और जोड़ दिया ॥ उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया के लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 25, 2013 at 8:15pm

आपके प्रयास पर मन प्रसन्न है, आदरणीय गिरिराज जी.

इस कविता के सर्वसमाही गुण को समादर देते हुए आपने यदि अंतिम दो प्ंक्तियाँ न रखीं होती तो मेरी समझ से अधिक उचित होता. वो दोनों पंक्तियाँ उपसंहार की तरह लग रही हैं.

लेकिन बहुत-बहुत बधाई आपकी रचना के लिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 20, 2013 at 11:22am
आदरणीय लक्ष्मण भाई , आपका कुछ न कह पाना बहुत कुछ कह दिया । आपका हार्दिक आभार ॥
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 20, 2013 at 7:54am

भाई गिरिराज जी

प्रशंसा के लिए शब्द ढूढे नहीं  मिल रहे


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:50pm

आदरणीया अन्नपूरणा जी , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:48pm

आदरणीय अविनाश भाई , रचना की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:47pm

आदरणीय जीतेन्द्र भाई , रचना की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के  लिये आपका आभारी हूँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:46pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , आपका अशीर्वाद सदा मेरे साथ रहा है , आपक हृदय से आभारी हूँ । ऐसे ही स्नेह बनाये रखें ॥ 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:42pm

आदरणीय संजय भाई , आपकी प्रतिक्रिया सदा मेरा उत्साह वर्धन करती रही है , आपका बहुत आभार । ऐसे ही स्नेह बनाये रखें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 19, 2013 at 6:40pm

आदरणीया मीना जी , रचना की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका बहुत शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service