For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मै शब्द हूँ  ।

मेरा जन्म  हुआ है आप का अंतस बाहर लाने के लिए ।

मै उतना ही सशक्त होता हूँजितनी आप की भावनाएं और

और हाँ !

आप के  चुनाव के अनुपात में भी ,

जो आप चुनते हो हमारे शब्द समाज में से ।

और वो भी तब ही  जब आप,

मेरी /हमारी प्रकृति को भलीभांति जानते हों ।

हाँ, मेरी भी प्रकृति है, स्वभाव है।

हर शब्द की अपनी अलग प्रकृति,

गलत चुनाव , तो अर्थ  गलत ।

जिम्मेदारी आपकी है ,

मेरी जमात में से सही चुनाव की ।

मै निश्छल हूँ ,निष्कलंक हूँ ,तटस्थ हूँ निष्पक्ष हूँ ।

भाव आप के है ,चुनाव आप का है ,विचार आप के हैं।

प्रकट आप होना चाहते हैं ,

अभिव्यत आप होना चाहते हैं ।

खुलना आप चाहते  हैं ।

मैं  तो माध्यम  हूँ ,

ना अच्छा ,ना बुरा ,

न अपना, न पराया ।

वो सब आप हैं ।

मेरी जिम्मेदारी है तो बस इतनी कि,

हममे से जिसे चुना जाये उसकी अभिव्यक्ति दें , बस ।

हम प्रतिबद्ध हैं, जिसके लिये ।

गलत चुनाव से हमारा कुछ न जायेगा ,

जो आप  वास्तव में चाहते हैं वो बाहर न आयेगा।

हानि  लाभ जो होगा आप को होगा।

मैं /हम अपनी प्रकृति के सदा सही हैं , 

और आगे भी रहेंगे ।

चुनाव आपका है,

क्यूँकि भावनाएँ आपकी हैं ।

सदा सही चुनो

सुखी   रहो।  

!!!!! मै शब्द हूँ !!!!! 

 

मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

 

 

Views: 609

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 8:24pm

सौरभ भाई , सटीक विश्लेषण !! आपका हार्दिक आभार !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 26, 2013 at 7:54pm

शब्द पर आपने प्रयास किया. यदि अक्षर को भी आपने रचना में समेटा होता तो विशेष अर्थ बनते, और तुलनात्मकता रोचक होती.

आपके प्रयास केलिए आपको हार्दिक शुभकामनाएँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2013 at 3:04pm

राम भाई , रचना की सराहना के लिये आपका दिली  आभार

Comment by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 2:18pm

बहुत ही  सुन्दर रचना //हार्दिक बधाई आपको 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 5:59pm

शुभाष भाई , बहुत शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 5:59pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद , भाई विजय !!

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2013 at 5:47pm
शब्द तो निश्चित ही हमारी सोंच ,समझ और मानसिकता को ही अभिव्यक्त करते है और ये शब्द ही हैं जिनसे हमारे व्यक्तित्व की छवि बनती है जो हमारा परिचय भी देता है . बहुत सहेजी हुई सुंदर काव्य रचना .बधाई गिरिराजजी .
Comment by Sulabh Agnihotri on August 19, 2013 at 5:20pm

bahut sunder


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 19, 2013 at 3:05pm

अजय भाई , बहुत बहुत आभार !!

Comment by AjAy Kumar Bohat on August 19, 2013 at 2:36pm

waah bahut khoob

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"ओह!  सहमत एवं संशोधित  सर हार्दिक आभार "
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
11 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service