For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SANDEEP KUMAR PATEL's Blog (238)

तेरे प्रेम में मैंने प्रेम गीत गाया

इस गीत मैं कुछ वांछित बदलाव करने की कोशिश की है आदरणीय सम्पादक महोदय से निवेदन है की इसे सम्पादित करने की कृपा कर मुझे कृतकृत्य करें



तेरे नैनों में, कैसा ये जादू है

देख के मन ये, मेरा बेकाबू है

इन नैनो में, अब डूब के, मैंने ये मन गंवाया

तेरे प्रेम में, मैंने प्रेम गीत गया ,मैंने प्रेम .....................



मन में छुपाया है प्रेम तेरा, तन में बसाया है प्रेम तेरा

आँखों की प्यास है प्रेम तेरा, जीवन की आस है प्रेम तेरा

शीतल सी आग है प्रेम तेरा ,…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 31, 2012 at 1:30pm — 17 Comments

तेरी निगाह की जादूगरी मैं कैसे लिखूं

तेरी निगाह की जादूगरी मैं कैसे लिखूं

दिखी तराश जो हुश्ने-परी मैं कैसे लिखूं



यहाँ 'न' दिल बिका पामाल का चाहत के लिये

दिवानगी लगी सौदागरी मैं कैसे लिखूं



न कायनात सी दिलकश यहाँ पे शै है को

खुदा बता तेरी कारीगरी मैं कैसे लिखूं



न तोड़ आइना झूठा कभी ये होगा नहीं

बड़ी कमाल है…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 30, 2012 at 10:30pm — 15 Comments

2 मुक्तक

1

बिन जाने ह्रदय की पीड़ा पिया , दिल तोड़ के ऐसे जाते हो

मैं बैठी राह को तकती यहाँ, मुह मोड़ के ऐसे जाते हो

क्यूँ रूठे हो जरा हमसे कहो, बिन बात के कैसे जानूं मैं

प्रिय मेरे साथ में तुम थे चले, अब छोड़ के ऐसे जाते हो

2…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 24, 2012 at 12:30pm — 9 Comments

ऐसे थम थम के जो चलोगी क़यामत होगी

तेरी चाहत में डूब रब की इबादत होगी

मेरे इस दिल पे अगर तेरी इनायत होगी



तेरे क़दमों की आहटों पे मिटे बैठे हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 10:30pm — 7 Comments

===========|| नैन ||==========

===========|| नैन ||==========



मन भावन है गोरी तेरे नैनो की प्यारी भाषा

इन गहरे नैनो में अब तो बसने की है अभिलाषा

देखा जबसे इन नैनो को किस दुनिया में डूबा हूँ

डूबा डूबा सोचे ये मन इन नैनो की परिभाषा



इन नैनो से होती वर्षा चाहत वाले तीरों…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 4:37pm — 3 Comments

मुक्तक

मुक्तक



तुम देखो हृदय की पीड़ा प्रिये, इस तरह मुझे तडपाती हो

छुप छुप के निहारो एकटक मुझे, दिन रात जिया तरसाती हो

मैं जानूं तुम्हारे मन की व्यथा, दिखलावे को इतराती हो

कह डालो ह्रदय को खोलो…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 23, 2012 at 12:30pm — 4 Comments

रच ऐसे छंद कवि, हिंद की तू आन है

लिखना हो कविता तो, भाव को टटोल ले तू |

भाव लिए लय ही तो, कविता में प्राण हैं ||

 

छंद में जो हो प्रवाह, लोग करें वाह वाह |

ह्रदय को भेदता जो, शब्द रुपी बाण हैं…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:00pm — 6 Comments

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||

|| माँ शारदे स्तुति "घनाक्षरी छंद" ||



नव नव छंद लिखूं, छंद में आनंद लिखूं |

ऐसा वरदान देना, मेरी माता शारदे ||



जब भी श्रृंगार लिखूं , अपने विचार लिखूं |

मान…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 22, 2012 at 10:30am — 8 Comments

घनाक्षरी

एक घनाक्षरी लिखने का प्रयास है दोस्तों



फूल है तू, शूल है तू, हॉट है तू. कूल है तू

कहा नहीं जा रहा है, गोरी तेरा रूप ये |



विरह की आग तू है मिलन की प्यास तू है

दिल की तड़प मेरी, कितनी अनूप ये |



बाल काले बादलों से. फिरें हम पागलों से

कभी ठंडी छाँव और, कभी तेज धूप ये |



तेरी ये मुस्कान प्यारी, नैन जैसे है कटारी…
Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 8:00pm — No Comments

"|| शुद्धगा छंद ||"

"|| "शुद्धगा छंद" ||" 

(२८ मात्रा "१ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २   १ २ २ २ ")

------------------------------------------------------------------------

यहाँ पर प्रेम पूजा प्रेमियों की जानता हूँ मैं

जहाँ पर है सखी भगवान जैसी मानता हूँ मैं

मिले जब…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 21, 2012 at 2:00pm — 14 Comments

उसी की याद में खोया दिवाना उसका पागल हूँ

बहर :- बहरे हजज मुसम्मन सालिम | 
मफाईलुन | मफाईलुन | मफाईलुन | मफाईलुन

1 2 2 2    1 2 2 2   1 2 2 2    1 2 2 2

उसी की…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 10:32pm — 6 Comments

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

तुझे तो देख के जोरों से मेरा दिल धडकता है

जिये पानी बिना मछली के जैसे मन तडपता है

जिगर को थाम के बैठूं मैं अक्सर सामने तेरे…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 17, 2012 at 10:00am — 17 Comments

जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई

जो इश्क कर लिया हर्फों में नजाकत आ गई

यार दीवानगी से थोड़ी शरारत आ गई



ये नया दौर  है  इसमें जो लगा उनसे जिगर…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 14, 2012 at 10:30pm — 19 Comments

=========== माँ ===========

=========== माँ ===========



मेरे आते ही तेरा मुश्कुराना याद है

वो रोते रोते तुझसे लिपट जाना याद है



तेरे हाथों में माँ जादू रहा मीठा कोई

वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है



तेरा दर छोड़ा मैंने जब पढ़ाई के लिये

मैं खुद भी रोया माँ तुझको रुलाना याद है



मेरे गम अपने आँचल में छुपा तुमने रखे

मेरी खुशियों में तेरा…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 13, 2012 at 10:19am — 13 Comments

जुदा सारे जहां से गाँव अब भी गाँव है

हमारी फिक्र थी ये गाँव अब भी गाँव है

सियासत के करम से गाँव अब भी गाँव है



मखमली सेज सूखी घास से देखो बनी

महल सी झोपड़ी में गाँव अब भी गाँव है



मिलेगी छाँव बरगद नीम पीपल की घनी

मिटे हर पीर जाके गाँव अब भी गाँव है



ख़ुशी हर चेहरे में औ दर्द दिल में दफ़न

रंज औ गम भुलाके गाँव अब भी गाँव है



सखी ऐसे तके है राह हाये प्रियतम की

बिछाये चश्म अपने गाँव अब भी गाँव है…



Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 12, 2012 at 1:44pm — 10 Comments

उसी फानूस ने ही दीप ये बुझाया दोस्तों

मनाने का हुनर हमको कभी न आया दोस्तों

बड़ी मगरूर थी वो मैं समझ न पाया दोस्तों

दिखे नादान सा लेकिन खबर सभी की है उसे

जिसे सबने सता के आदमी बनाया दोस्तों



गर्दिशों से मिटा जिसके ख्वाब महलों के रहे

  उजालों की ख्वाहिस में झोपड़ी जलाया दोस्तों



बुरा कितना रहा हो आदमी जमाने में मगर

जनाजा चार कांधो ने वही उठाया दोस्तों



तडपता वो रहा जिसके लिये जिगर को थाम…

Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 11, 2012 at 7:30pm — 10 Comments

कौरवों के साथ में धृतराष्ट्र अँधा है

कौरवों के साथ में धृतराष्ट्र अँधा है

धर्म है पाखंड सा हर दिल दरिंदा है



हिंद में ही लुट रही क्यूँ लाज हिंदी की

पश्चिमी रंग में रंगा हर एक बंदा है



ना हया ना शर्म है आदम के अन्दर अब

औ सनातन धर्म भी मंदिर में धंधा है



आज तक अच्छा किया ना एक नेता ने

जो करे अच्छा यहाँ वो ही तो गन्दा है



फिक्र तुझको…
Continue

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 7, 2012 at 9:30am — 15 Comments

मैंने अपनी हर दुआ में बस तुझे मांगा यहाँ

मैंने अपनी हर दुआ में बस तुझे मांगा यहाँ

तेरे आने से मिला है अब मुझे सारा जहाँ

 

लब हैं नाजुक पंखुड़ी  से ये गुलाबों की तरह

जुल्फों में उलझे पड़े जो जी रहे हैं अब कहाँ

 

भूलूं कैसे "दीप" आखिर वो हया रुखसार की

उनके बिन कैसे रहूँगा मैं यहाँ औ वो वहाँ

 

…………."दीप"…………..

Added by SANDEEP KUMAR PATEL on May 6, 2012 at 8:48pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
41 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
44 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
11 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service