For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सालिक गणवीर's Blog – November 2020 Archive (3)

मार ही दें न फिर ये लोग मुझे.....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1212 22/112



जाँ से प्यारे हैं सारे लोग मुझे

मार देंगे मगर ये लोग मुझे(1)

मुझको पानी से प्यार है लेकिन

एक दिन फूँक देंगे लोग मुझे (2)

मैं उन्हें अपना मानता हूँ मगर 

ग़ैर समझे हैं मेरे लोग मुझे (3)

उम्र भर शह्र में रहा फिर भी

जानते ही नहीं ये लोग मुझे (4)

बाद मुद्दत के अपने गाँव गया

सारे पहचानतेे थे लोग मुझे (5)

उनकी बातों का क्यों बुरा मानूँ

लग रहे हैं भले से लोग…

Continue

Added by सालिक गणवीर on November 26, 2020 at 4:00pm — 6 Comments

फिर से मुझको न वो हरा जाए....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

2122 1212 22/112

फिर से मुझको न वो हरा जाए

इससे पहले ही कुछ किया जाए (1)

जब वो आँखों से कुछ नहीं कहता

कान में कुछ तो बुदबुदा जाए (2)

बन गया है वो मील का पत्थर

अब उसे ठीक से पढ़ा जाए (3)

यार अब बन गया अदू मेरा

अब भले को बुरा कहा जाए (4)

सीधे रस्ते पे क्या चलेगा वो

जिसका ईमान डगमगा जाए (5)

है जबाँ यार ये महब्बत की

उससे उर्दू में कुछ कहा जाए…

Continue

Added by सालिक गणवीर on November 13, 2020 at 9:30am — 7 Comments

जो किसी का नहीं अब वही है मेरा ....( ग़ज़ल :- सालिक गणवीर)

212 212 212 212

आज दिल उसके दुख से दुखी है मेरा

जो किसी का नहीं अब वही है मेरा (1)

मौत मुझको बुलाती है हर पल मगर

ज़िंदगी रास्ता रोकती है मेरा  (2)

लिख न पाऊँगा मैं आज क्या हो गया

मौत से सामना आज भी है मेरा  (3)

डगमगाते हैं जब भी क़दम ये मिरे

यार मंज़िल पता पूछती है मेरा   (4)

रख दिया है मुझे आग के सामने

जानता है बदन काग़ज़ी है मेरा  (5)

रोक सकता नहीं रथ के पहिए कोई

अब…

Continue

Added by सालिक गणवीर on November 2, 2020 at 5:00pm — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service