For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rash Bihari Ravi's Blog – June 2010 Archive (9)

अपना दुःख किससे कहू मैं ,

अपना दुःख किससे कहू मैं ,

यहा कौन हैं सुनने वाला ,

हर तरफ फैला अन्धियारा ,

धधक रही दहेज की ज्वाला ,



बेटी के बाप तो हमभी हैं ,

बड़ी मुश्किल से पढ़ा पाए ,

हम खाय आधपेट मगर ,

बेटी को हम बी कॉम कराए ,



लड़का बढ़िया खोज रहा हु ,

दहेज़ के बिना हैं परेशानी ,

अब सोचता हु क्यों पढ़ाया ,

जन्मते क्यों नहीं नमक खिलाया ,



मर गई होती ये तब ,

परेशानी ये ना आती अब ,

ये लड़का वालो जरा समझो ,

हम भी पढाये ये तो समझो… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 24, 2010 at 4:00pm — 5 Comments

सुन्दरकांड से

सुन्दरकांड

जामवंत के बचन सुहाए ! सुनि हनुमंत हर्दय अति भाए !!

तब लगि मोहि परिखेहु तुम्ह भाई ! सहि दुख कंद मूल फल खाई !!

जब लगि आवों सीतहि देखी ! होइहि काजू मोहि हरष बिसेषी !!

यह कहि नाइ सबन्हि कहूँ माथा ! चलेउ हरषि हिएँ धरि रघुनाथा !!

सिंधु तीर एक भूधर सुन्दर ! कौतुक कूदी चढ़ेउ ता ऊपर !!

बार बार रघुबीर संभारी ! तरकेउ पवनतनय बल भारी !!

जेहि गिरि चरन देई हनुमंता ! चलेउ सो गा पाताल तुरंता !!

जिमि अमोध रघुपति कर बाना ! एही भांति चलेउ हनुमाना !!

जलनिधि… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 12, 2010 at 7:14pm — 7 Comments

कुछ बाते जो बुजुर्गो से सुना हु ध्यान देने योग हैं ,

कुछ बाते जो बुजुर्गो से सुना हु ध्यान देने योग हैं ,

१. नाशवान को महत्व देना ही बंधन हैं ,
२ सत्य ही कलिकाल की तपस्या हैं ,
३. नम्रता से कही हुई कठोर बाते भी अच्छी लगती हैं,
४ वस्तु , ब्यक्ति से सुख लेना महान जड़ता हैं,
५. यदि शांति चाहते हो तो कामना का त्याग करो ,
६. परमात्मा की प्राप्ति में भाव की प्रधानता हैं.
७. सच्ची बात को मान ले ये सत्संग हैं.
८. कiम करते समय भगवान को मत भूलो ,

अच्छा लागे तो गाठ बांघ लो भाई ,

Added by Rash Bihari Ravi on June 12, 2010 at 6:45pm — 1 Comment

पिचकू पाड़े ,

डॉक्टर के पास पहुचे प्यारे प्यारे पिचकू पाड़े ,

बोले डाक्टर साहब क्या काम है पिचकू भाई ,

संग में जो आये बोले, परेशान हैं पिचकू पाड़े ,

बावन जोड़ा पूड़ी रात में ये खाये थे ,

संग में दही तीन किलो उड़ाये थे ,

घर का खाना ये कभी न खाते हैं ,

एक दिन खाकर तीन दिन तक पचाते हैं

सुबह से परेशान हैं, होती हैं खूब दौड़ाई ,

रुक जाये भागम-भाग,जल्दी दे दो कुछ दवाई ,

डाक्टर बोला थोड़ा कम तो खाओ यार ,

उम्र बढ़ी हैं कुछ तो अपना रखो ख्याल ,

डॉक्टर को भी बडे प्यार… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 11, 2010 at 8:00pm — 2 Comments

दिल में सवाल था ,

दिल में सवाल था ,
बड़ा बेमिसाल था ,
लेकिन हम डर डर के ,
अनोखा काम किया ,
था तो सुंदर वो ,
उसको सजाकर मैं ,
अति सुंदर किया ,
जिस के पास भाई ,
अह ना आये ,
उसी का नाम गुरु ,
सही में कहलाये ,
आपने जो कहा ,
वही सर आखो पे ,
मेरे लिए कुछ भी करे ,
सर अब ना डरे ,
डर से अपना ही ,
होना नुकसान था ,
दिल में सवाल था ,
बड़ा बेमिसाल था ,

Added by Rash Bihari Ravi on June 10, 2010 at 2:30pm — 2 Comments

मैं इन्सान हु इंसानियत भूल गया ,

मैं इंसान हू ,

इंसानियत भूल गया ,

मानवता से कुछ लेना देना नहीं .

वो हमसे कोशो दूर गया ,

आपकी नजर में ,

मानवता के लिए जो हम लड़ते हैं ,

हम अपने फायदा के काम करते हैं ,

जगह जगह पोस्टर लगवाता हू ,

काम से ज्यादा अपना नाम चमकाता हू ,

मैं खुद को इतना बुलंद करना चाहता हू ,

की सामने वाला भींगी बिल्ली लगे ,

मैं इंसान हू ,

इंसानियत भूल गया ,

कोई सड़क पर मर रहा हैं .

पानी के लिए तरस रहा है,

मैं मानवता का पक्षधर हू ,

सरकार ने लाल… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 10, 2010 at 1:00pm — 2 Comments

ना मैं तुलसी हू....

मैं ना तो कोई तुलसीदास

जो दोहावली सजाऊँ,

ना ही मैं कबीर कोई

कि भजनमाल बुन पाऊँ !



सूरदास की भक्ति कहाँ

जो गीत श्याम के गाऊँ,

ओज सुभद्रा सा भी नहीं,

ना टैगोर का सुर बना पाऊँ !



फिर भी दिल में ये चाहत है,

में दिल की बात सुनाऊँ,

और प्यार दोस्तों का कहता है,

में भी कलम उठाऊँ !



मुझमे ऐसा कुछ भी नहीं,

कि में कुछ भी बन जाऊं,

प्यार आपका होगी वजह,

जो कुछ सार्थक कह पाऊँ !



मित्रों की प्रेरणा शक्ति… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 9, 2010 at 2:00pm — 3 Comments

पेंडुलम .

पेंडुलम .

पेंडुलम यही समझ रहे हो ना मुझे ,

यही भूल अगली सरकार की थी ,

और तुम्हे मिल गया ये मलाई ,

जिसे बारे प्यार से आपस में ,

बाटकर मस्ती से खा रहे हो ,

हमें चाहिए एक होनहार कर्मनिस्ट,

जो समझे हमें जाने हमें ,

और तुम हो की जानना ही नहीं चाहते ,

लोकतंत्र में युवराज दिखा रहे हो ,

यही ना हमें पेंडुलम समझ कर ,

उल्लू बना रहे हो ,

जिस जनता को तूम उल्लू समझ रहे हो ,

ओ सब जानती हैं ,

कोई पानी तक नहीं मांगता ,

जब ओ मरती हैं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 9, 2010 at 12:55pm — 4 Comments

नेट पे होती है बाते ,

नेट पे होती है बाते ,

फिर होती है मुलाकाते ,

यारो दिल की सुनो ,

कहता हु दोस्ती के नाते,

ये तो सुनहरा मौका ,

देता हैं (ओ बी ओ )

प्यार से मिलो और ,

प्यार में ही जिओ ,

गुरु के संग गणेश जी ,

और सतीश जी ,

पावन स्थल पटना,

मंदिर महाबीर की ,

तीनो जो हम मिले ,

दोस्ती दिल के खिले ,

लगता नहीं था यारो ,

पहली बार हम मिले ,

बरसो की दोस्ती हो ,

हो बरसो से मिलते रहे ,

दिल में बहुत हैं बाते ,

और मैं क्या कहू… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 3, 2010 at 4:00pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service