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गुरु जी की दो कवितायेँ ...

"एक"

वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

अंधे का पुत्र अंधा द्रोपदी जो बोल दिया ,
वही शब्द बन गए महाभारत की आधारशिला,
वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

तुम मुझे खून दो - मैं तुम्हें आजादी दूंगा,
नेता जी सुभाषचंद्र बोस ये शंख नाद किया,
वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

आजादी हमारा जन्म सिद्ध अधिकार हैं,
बाल गंगाधर तिलक की ये बात बल भर दिया,
वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

लाल बहादुर शास्त्री आप को तो याद हैं,
जय जवान जय किसान ऐसा बल भर दिया,
वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

"दो" 

भाव भरा हृदय तन-मन को प्रभावित करे,

भावनाओ की अभाव ही विकृतियों को जन्म दे,
हृदय, मन एवं तन हैं जीवन के अभिन्न अंग,
इनका सामंजस्य मानसिक स्वास्थ्य करे,
भाव भरा हृदय तन-मन को प्रभावित करे,

आधुनिक विज्ञान से इसको जोड़ देख लो,
वो भी यही मानता तन और मन एक हैं,
तन पे लगे घाव तो मन भी महसूस करे,
भाव भरा हृदय तन-मन को प्रभावित करे,

 

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Comment

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Comment by Rash Bihari Ravi on July 23, 2011 at 5:29pm

dhanyabad sir ji mera man bag bag ho gaya 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 23, 2011 at 1:22pm

गुरु जी आज मैं केवल "खुबसूरत लाजबाब" ही नहीं कहूँगा, बल्कि कहूँगा कि दोनों रचनाएँ खुबसूरत है, कथ्य बहुत ही सार्थक है , बधाई स्वीकार करें | 

कृपया ध्यान दे...

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