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Rash Bihari Ravi's Blog (153)

बीत गए वो दिन ,

आज पुरानी वो यादें  ,
मन को लुभा रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
कितना अच्छा था बचपन ,
कितने अच्छे थे वो दिन ,
रातों की तो बातें छोड़ो  ,
दिन भी होते थे रंगीन ,
उन्ही बातों से मुझे ,
जिन्दगी बहला रही हैं ,
बीत गए वो दिन ,
उनकी याद आ रही हैं ,
.
पाव मेरे छोटे छोटे…
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Added by Rash Bihari Ravi on September 1, 2012 at 3:00pm — 5 Comments

एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,

एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,

फिर समझ में आएगा कितने हो महान ,

एक तस्वीर जिसपे हम वर्षो से फूल चढ़ाते हैं ,

एक तस्वीर ऐसा  भी आओ तो तुझे दिखाते हैं ,

मरने वाला मर गया तुम बन गए महान ,

एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,

पार्टी बाजी गुट बाजी उनको हमसे दूर किया ,

आपने उनको बा इज्जत शहीद ऐलान किया ,

फिर मेरे आँगन में उनका पुतला लगा दिया ,

कमाने वाला चला गया हमें मझधार दिया ,

और आप…

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Added by Rash Bihari Ravi on January 31, 2012 at 4:00pm — 2 Comments

आज भी मैं वही फूल हूँ ,

आज भी मैं वही फूल हूँ ,  

जो कल था खिला हुआ ,

था आँखों का तारा ,

था हर एक से घिरा हुआ ,

हर कोई चाहे लेना ,

मुझे हाथों हाथों में ,  

मैं खुश यूँ ही होता रहा ,

उनकी प्यारी बातों में ,

कोई चाहे रहूँ  मैं , 

देवों का होकर ,  

कोई चाहे प्रियतम का हार बनूँ ,

पता नहीं कब फिसल गया ,

सब की नज़र से उतर गया , 

अब वो चमक नहीं रही , 

धुल धूसरित मैं पड़ा रहा ,

अपने विमुख  हुए हमसे…

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Added by Rash Bihari Ravi on December 5, 2011 at 11:30am — 4 Comments

लघुकथा - कामवाली

सुमन अपने सास को फोन कर रही थी तभी उसकी सहेली किरण वहाँ आ गई , सुमन उसे बैठने के लिए इशारा कर फोन पर बात करने लगी

 

"माँ जी, आप आ जाइये पप्पू रोज सुबह शाम आप को याद करता हैं .......

हाँ हाँ ! ये भी अपनी माँ को आपने पास पा कर बहुत खुश होंगे , ....

हाँ तो माँ जी आप कब आ रही हो ?

रविवार को ?

ठीक हैं माँ जी मैं इनको स्टेशन भेज दूंगी !"

चेहरे पर मुस्कान लिए फोन रख किरण से बोली

"कैसे आना हुआ ?"

किरण बोली

"तू आपने सास के आने पर…

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Added by Rash Bihari Ravi on December 1, 2011 at 12:30pm — 4 Comments

गुरु दोहावली

मन पागल बौराय है, इसे कोउ समझाय,

बीत गया है जो समय, लौट कभी न आय  !   
.
जिसकी जो गति वो लिखा वही बने तक़दीर ,
होनी तो होके रहे, सहज हो या गंभीर  ,
.
दुःख से घबराओ नहीं, सुख का ये आधार,
दुःख से डर के भागना, बदलो ये व्यवहार,…
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Added by Rash Bihari Ravi on October 22, 2011 at 2:00pm — 8 Comments

मरना चाहू मर ना पाउ ये क्या किया तू महंगाई ,

मरना चाहू मर ना पाउ ये क्या किया तू महंगाई ,

निर्लज हैं मनमोहन तुझे शर्म क्यों नहीं आई ,
बतीस के आधार बाना कर गरीबी ये मिटायेंगे ,
गरीबी से नाम कटेगा खाना फिर ना पाएंगे ,
हमको कहते बतीस में तुम अपना दिन बिताओ ,
क्या होगा अब बतीस अब कोई इन्हें समझाओ ,
लुट के घर ये भर लेते हैं देते महंगाई के दुहाई ,
मरना चाहू मर ना पाउ ये क्या किया तू महंगाई ,

Added by Rash Bihari Ravi on October 15, 2011 at 1:16pm — No Comments

क्रेडिट कार्ड, पर्सनल लोन,

क्रेडिट कार्ड

 

सपना दिखता हैं ,

पावर दिलाता हैं ,

खर्चे में तो तो पंख लगता हैं ,

ना हो पैसा फिर कम हो जाता हैं ,

लगे की दोस्तों में इज्जत बढ़ता हैं,

बिल जब आता हैं ,

पागल बनाता हैं ,

क्यों ली क्रेडिट कार्ड ,

समझ ना आता हैं ,

भाई ये इज्जत लेकर ही जाता हैं ,

.

.

बैंक ऋण

 

पहली पहली बार ये ,

झट पट मिल जाता हैं ,

क्यों की अन्दर की बात ,

समझ में ना आता हैं…

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Added by Rash Bihari Ravi on October 15, 2011 at 11:30am — 2 Comments

गुरु

गुरु 

एक यैसा शब्द ,
जिसे सुनते ही ,
हाथ जुड़ जाते हैं ,…
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Added by Rash Bihari Ravi on September 5, 2011 at 5:06pm — 4 Comments

उनके आदर्शो को याद कर ,

उनके आदर्शो को याद कर ,

आइये हम सब मिलकर ,
झूठ ही सही जीवन में उतर लें ,
आज शिक्षक दिवस मना लें ,
ये औपचारिकता ही सही पर ,
वाह-वाही उठाले एक गोष्टी कर ,
उनके आदर्शो को याद कर ,
आइये हम सब मिलकर , 
.
आज सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन ,
उनके आदर्श व आचरण पे चर्चा के दिन ,
आज के शिक्षक जो लगे हैं ,
पैसे के लिए आदर्श में नंगे हैं ,
आचरण उनकी देख समझकर…
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Added by Rash Bihari Ravi on September 5, 2011 at 2:00pm — 11 Comments

जाही बिधि रखे राम ताहि बिधि रहिये ,

सीताराम, सीताराम, सीताराम, कहिये ,

जाही बिधि रखे राम ताहि बिधि रहिये ,

प्रभु मनमोहन को सदबुधि दीजिये ,

उनके साथियों को प्रभु सुमति कीजिये ,

सब हिंद वासी अब इतना ही चाहिए ,

सीताराम, सीताराम, सीताराम, कहिये ,

जाही बिधि रखे राम ताहि बिधि रहिये ,

अरविन्द ,प्रशांत किरण संग रहिये ,

कुमार बिस्वाश उनसब से ये कहिये ,

हिंद के चहेते हम हैं जुल्म ना करिये ,

हिन्दुस्तानी संग हैं आप आगे बढ़िये ,

सीताराम, सीताराम, सीताराम, कहिये ,

जाही बिधि…

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Added by Rash Bihari Ravi on September 3, 2011 at 2:30pm — 2 Comments

जन लोकपाल लिए मन माहि ,

जन लोकपाल लिए मन माहीं ,

अन्ना बोले जन सन्मुख जाहीं ,
साथ किरण बेदी आई ऐसे , 
राम काज लगी हनुमत जैसे ,
कपिल आये रूप धरि रावण ,
चाहैं  कार्य बिगारन पावन ,
जन समर्थन अन्ना जो पाये ,
तबहिं बिरोधि हुडदंग मचाये ,
मांग भई अस संसद बिरोधी ,
आयें प्रधान देख गतिरोधी ,
संसद कुछ जनहित में सोचा ,
हिंद की जनता का सिर ऊँचा" ­ ,
  

 

Added by Rash Bihari Ravi on September 2, 2011 at 2:00pm — 18 Comments

चलो गाँव की ओर

 

बहुत रुलाया शहर ने  ,
दी जहर फिजा में  घोल ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर .
हर तरफ हैं मोटर ,
जो शोर मचाती हैं ,
कसम से यारो दिन क्या ,
रातों को नींद नहीं आती हैं ,
प्यारा नहीं लगता हैं 
यारा यहाँ का भोर ,
खुश रहना हैं तो यारो ,
चलो गाँव की ओर ,
यहाँ के तलाब को देखो…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 6, 2011 at 1:30pm — 7 Comments

ओ बी ओ अष्टक

एक समय रवि साथ लिए सब,

बागी गणेश प्रीतम जी आयो,

ओबीओ का जब जनम भयो तब,

ये ख़ुशी लिए बिजय जी आयो,

सभे मिली जब किये बिनती,

योगराज जी प्रधान बने हमारो,



को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,

पाठ साहित्य पर होत बिचारो!



गजल की बात राणाजी शुरू कियो,

तब आगे बढ़ी तिलकराज जी आयो,

योगराज जी साथ दियो तब,

अम्बरीश जी किये बिचारो,

शुरू किये सब मिली मुशायरा,

सौरभ जी और अभिनव हमारो.



को नहीं जानत हैं ओबीओ पर,

पाठ साहित्य पर होत…

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Added by Rash Bihari Ravi on August 1, 2011 at 8:30pm — 15 Comments

उम्र के इस पड़ाव पर

.

उम्र के इस पड़ाव पर

खड़ा हूँ ये सोच कर

क्या खोया क्या पाया

समझूँ सबकुछ देख कर

वही पर हूँ

जहाँ पर था

उस समय भी

मैं ही था

आज भी हूँ

उस समय

मैं बालक था

लड़कपन और ठिठोली करता

आज भी हूँ

वही बालक

मगर अंतर हैं

तब वो पुत्र था

आज ये पिता है.





२.

मैं स्कूल नहीं जाऊँगा ,

जब ये शब्द मुझे याद आते हैं

कसम से

बहुत याद…

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Added by Rash Bihari Ravi on July 25, 2011 at 7:30pm — 4 Comments

सृष्टि का सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ,

सृष्टि का सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी मनुष्य ,

अपने भाग्य एवं भविष्य का निर्माता वो ,
अक्लमंदी के प्रदर्शन में प्रकृति के बिरोध करे ,
जिसे हम विकास कहते हैं वो विनाश का द्वार हैं ,
हम प्राकृतिक संपदाओं को जो नष्ट कर रहे हैं ,
धारा प्रदूषित होने से हम मृत्यु को वरण कर रहे हैं ,
हर कोई जाने-अनजाने में खुद को मारना चाहता हैं ,
नहीं तो धूम्रपान मद्यपान को वो वरण नही करता…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 25, 2011 at 7:00pm — 2 Comments

गुरु जी की दो कवितायेँ ...

"एक"

वो ओजस्वी शब्द जो सब कुछ बदल दिया,

अंधे का पुत्र अंधा द्रोपदी जो बोल दिया ,
वही शब्द बन गए महाभारत की…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 21, 2011 at 6:00pm — 2 Comments

मन की मस्ती ,

मन की मस्ती ,

तन की चाहत ,
आता हैं सावन ,
मिलती हैं राहत ,
रिमझिम रिमझिम ,
बरसे हैं बादल ,
तड़पे हैं दिल  ,
बेकरारी का आलम…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 11, 2011 at 11:30am — 21 Comments

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

हरे भरे हैं खेत सुहाने ,

देख के मचले ये दिवाने ,
जैसे होती सुबह की बेला ,
चिडियों का कोलाहल सुन के ,
उठ के प्रथम बैलो को ,
लगते हैं ये तो खिलने ,
हरे भरे हैं खेत सुहाने ,
देख के मचले ये दीवाने  ,
सुबह सुबह ले बैलो को ,
कंधे पे ये हल संभाले ,
दिन भर मेहनत करने वाले ,
शाम को लौटे थके हरे ,
सकून देती हरियाली ने…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 4, 2011 at 12:00pm — 12 Comments

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

अब मेरे ख्वाबो को जीने दो ,

बचपन खेलने को तरस गया ,
हाथो में किताब पड़ने से ,
जवानी कर्मो में गुजर गया ,
और आगे बढ़ने में ,
पूरा चला ढाई कोस , 
वही कहावत हो गई , …
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 7:00pm — No Comments

कैसे कहू मैं दिल की .....

कैसे कहू मैं दिल की ......

दिल में ही रह गई .
ख्वाब अधुरा रह गया ,
ख्वाबो पे छुरी चल गई  ,
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
बालपन की मन में ब्यथा ,
तन सयानी हो गई ,
लोगो की नजरो में आना ,
जवानी दुश्मन हो गई 
कैसे कहू मैं दिल की ......
दिल में ही रह गई .
अपने होते ख्वाबें होती ,
मन की मुरादें मिल जाती ,
अपनों ने जो दगा किया…
Continue

Added by Rash Bihari Ravi on June 29, 2011 at 4:30pm — 15 Comments

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