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एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,

एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,
फिर समझ में आएगा कितने हो महान ,
एक तस्वीर जिसपे हम वर्षो से फूल चढ़ाते हैं ,
एक तस्वीर ऐसा  भी आओ तो तुझे दिखाते हैं ,
मरने वाला मर गया तुम बन गए महान ,
एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,
पार्टी बाजी गुट बाजी उनको हमसे दूर किया ,
आपने उनको बा इज्जत शहीद ऐलान किया ,
फिर मेरे आँगन में उनका पुतला लगा दिया ,
कमाने वाला चला गया हमें मझधार दिया ,
और आप फिर नहीं आये हम रहे परेशान,
एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,
आप की पार्टी के खातिर जान वो गवाए ,
अच्छा खासा चलता घर था ब्रेक आप लगवाए ,
माँ मेरी खूब मेहनत कर के मुझको पढ़ाई ,
तब तलक आपको हमारी याद नहीं आई ,
अपनों को भी भूल गए तुम ऐसे बेईमान ,
एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,
दोस्तों सुनो जरा अब मेरी बातों पे गौर करो ,
कुछ भी कर लो यहाँ ना कभी चमचा बनो ,
तुम अपनी जान लड़ाओगे इनकी वफ़ादारी में ,
तू तो मरेगा संग संग बच्चे मरेंगे लाचारी में ,
झूठा लुटेरा नहीं अब कोई नेतावो के समान ,
एक बार मेरे आँगन में कदम रखो श्रीमान ,

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Comment

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Comment by Rash Bihari Ravi on February 1, 2012 at 2:42pm

ok bhaiya aapki bato pe dhayan rakhunga


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 31, 2012 at 9:49pm

एक विशेष तेवर की रचना.  कथ्य में कसावट की मांग है.

शुभेच्छा रवि भाई.

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