For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं इन्सान हु इंसानियत भूल गया ,

मैं इंसान हू ,
इंसानियत भूल गया ,
मानवता से कुछ लेना देना नहीं .
वो हमसे कोशो दूर गया ,
आपकी नजर में ,
मानवता के लिए जो हम लड़ते हैं ,
हम अपने फायदा के काम करते हैं ,
जगह जगह पोस्टर लगवाता हू ,
काम से ज्यादा अपना नाम चमकाता हू ,
मैं खुद को इतना बुलंद करना चाहता हू ,
की सामने वाला भींगी बिल्ली लगे ,
मैं इंसान हू ,
इंसानियत भूल गया ,
कोई सड़क पर मर रहा हैं .
पानी के लिए तरस रहा है,
मैं मानवता का पक्षधर हू ,
सरकार ने लाल बती दिए ,
साथ में चलते हैं कभी कभी पाईलट ,
वही लोग उठाकर उसे फेक दिए ,
मगर एक चुल्लू पानी नहीं दिए ,
पानी के बिना वो इंसान मर गया ,
मैं इंसान हू ,
इंसानियत भूल गया ,
मानवता का आज सरताज बना हू , ,
लोगो का विश्वास बना हू ,
उन्ही का हिमायती हू मैं ,
जो अक्सर रोटी को तरसते हैं ,
उन्ही के रोटिओ के वास्ते ,
हमारे पास नोट बरसते हैं ,
मैं तो मालामाल हुआ ,
वो एक बेचारा बन गया ,
मैं इंसान हू ,
इंसानियत भूल गया ,

Views: 358

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 10, 2010 at 8:10pm
गुरु जी अब तो लग रहा है मानवता , इंसानियत जैसे शब्द केवल शब्द कोष की शोभा बन के रह जायेगे, इंसानी मूल्‍यो मे आ रही कमी को आप ने बहुत ही अच्छे तरीके से लिखा है, बहुत खूबसूरत रचना , धन्यबाद ,
Comment by satish mapatpuri on June 10, 2010 at 3:01pm
कोई सड़क पर मर रहा हैं .
पानी के लिए तरस रहा है,
मैं मानवता का पक्षधर हू ,
सरकार ने लाल बती दिए ,
साथ में चलते हैं कभी कभी पाईलट ,
वही लोग उठाकर उसे फेक दिए ,
मगर एक चुल्लू पानी नहीं दिए ,
पानी के बिना वो इंसान मर गया ,
मैं इंसान हू ,
आपका यह ख्याल दिल को छू गया गुरूजी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service